फारूक अबदुल्ला को पेश करने की याचिका पर विचार से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्मंत्री फारूक अब्दुल्ला को शीर्ष अदालत में पेश करने के लिए दायर याचिका पर आगे विचार करने से इनकार कर दिया. न्यायालय ने एमडीएमके नेता वाइको से कहा कि उन्हें सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत अब्दुल्ला को हिरासत मे लेने के आदेश को चुनौती देनी होगी.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने वाइको के वकील से कहा, ‘‘वह सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में हैं.’’
वाइको के वकील ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के रवैये पर सवाल उठाया और दावा किया कि 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई से कुछ मिनट पहले ही अब्दुल्ला को राज्य के सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत मे ले लिया गया था.
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत अब्दुल्ला को हिरासत में रखने के आदेश को उचित प्राधिकार के समक्ष चुनौती दे सकते हैं.
न्यायालय ने 16 सितंबर को केन्द्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को वाइको की याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया था.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के 81 वर्षीय नेता फारूक अब्दुल्ला इस समय सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में हैं.
वाइको के वकील ने 16 सितंबर को न्यायालय में कहा था कि फारूक अब्दुल्ला के बारे में परस्पर विरोधी दावे हैं. उनका यह भी कहना था कि प्राधिकारियों ने गैरकानूनी तरीके से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री को हिरासत में लिया है और उसकी यह कार्रवाई संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर हमला है.
केन्द्र ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को पांच अगस्त को रद्द कर दिया था. केन्द्र ने इसके साथ ही राज्य को केन्द्र शासित प्रदेशों में विभक्त करने का भी निर्णय किया था.