सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर प्रशासन के लिए अलग कानून बनाने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को सबरीमला मंदिर को प्रशासित करने के लिए अगले साल जनवरी के तीसरे सप्ताह तक अलग कानून बनाने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश पंडालम रॉयल कोर्ट की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया.
केरल सरकार को ओर से पैरवी कर रहे वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार ने मंदिर प्रशासन को लेकर मौजूद कानून में संशोधन प्रस्ताव तैयार किए हैं. वकील ने बताया कि कानून मसौदे में मंदिर प्रशासन की सलाहकार समिति में महिलाओं को एक तिहाई भागीदारी देने का प्रस्ताव है.
केरल सरकार के वकील की इस बात पर कोर्ट में सबरीमला मंदिर को लेकर बहस छिड़ गई. इसके बाद केरल सरकार की तरफ से कहा गया कि वह सबरीमला मंदिर की सलाहकार समिति में केवल 50 साल से ऊपर की महिलाओं को ही एक तिहाई भागीदारी देगी.
पिछले सप्ताह सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश को लेकर 2018 में दिए गए अपने फैसले के खिलाफ डाली गई पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 के बहुमत से याचिका को सात जजों की बड़ी बेंच के पास विचार के लिए भेज दिया था. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटा दी थी.
हालांकि, पुनर्विचार याचिका को बड़ी बेंच के पास भेजते समय सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के अपने फैसले पर रोक नहीं लगाई. इसके बाद भी केरल सरकार ने कहा कि माहवारी की उम्र वाली किसी भी महिला को सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बिना मंदिर के पास नहीं जाने दिया जाएगा.
केरल सरकार ने कहा कि मंदिर एक्टिविज्म की जगह नहीं है और किसी भी महिला को पुलिस सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी. केरल सरकार के इस आदेश के बाद केरल पुलिस कई महिलाओं को मंदिर जाने से रोक चुकी है.