जम्मू-कश्मीर में तुरंत बहाल नहीं होंगी 4G सेवाएं


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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट सेवा प्रदान करने को लेकर तुरंत किसी ऑर्डर को पास करने से इनकार कर दिया है. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने का आदेश दिया है. यह समति जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के अनुरोध पर विचार करेगी.

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस समिति में जम्मू कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव और संचार सचिव भी शामिल होंगे.

बेंच ने गठित होने वाली कमेटी से वैकल्पिक तंत्र का पता लगाने और घाटी में धीमी इंटरनेट गति से उत्पन्न समस्या को हल करने के लिए कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने फाउण्डेशन फॉर मीडिया प्रफेशनल्स , शोएब कुरैशी और जम्मू कश्मीर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया और साथ ही यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मानव अधिकारों के बीच संतुलन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.

याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा कि 2G सर्विस के कारण बच्चों की पढ़ाई, बिजनेस में दिक्कत और वीडियो कॉल के जरिए डॉक्टर्स से जरूरी सलाह लेने में परेशानी हो रही है. लॉकडाउन में जहां पूरी दुनिया इंटरनेट और स्मार्टफोन पर आश्रित हो गई है, ऐसे में जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए 2G सेवाएं पर्याप्त नहीं हैं. वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि आतंकवाद की वजह से 4G सेवा बहाल नहीं हो सकती.


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