रियल स्टेट में 50 लाख कामगारों की नौकरी पर लटकी तलवार
नरमी की वजह से रियल स्टेट में काम करने वाले तीन लाख से अधिक कामगार बेरोजगार हो गए हैं. जानकारों का मानना है कि अगर सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल पाती है तो रियल स्टेट पर आया संकट गहरा सकता है और 50 लाख से अधिक लोगों की नौकरियां जा सकती हैं.
नेशनल रियल स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नेरडेको) के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ को कहा कि अर्थव्यवस्था खासकर रियल सेक्टर को बढ़ावे की जरूरत है, जिससे लंबे समय में जीडीपी को बढ़ाने और रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने चेतावनी के लहजे में कहा कि रियल स्टेट में तीन लाख नौकरियां गई हैं और अगर साल के अंत तक सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए तो 50 लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं.
नगदी की समस्या झेल रहा रियल स्टेट क्षेत्र सरकार से समाधान चाहता है. नकदी की कमी की वजह से यहां वृद्धि रुक गई है और प्रोजेक्ट को पूरा करने में देरी हो रही है.
हीरानंदानी ने कहा कि अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए एक बार कर्ज के पुनर्गठन करने की जरूरत है. वह चाहते हैं कि सीमेंट जैसी निर्माण सामग्री पर टैक्स घटाई जाए.
नाइट फ्रैंक, फिक्की और नारडेको की ओर से किए गए सर्वे में रियल सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स ने भविष्य को लेकर गहरी आशंकाएं जताई हैं.
अर्थव्यवस्था में आई नरमी, एनएफबीसी पर आया संकट, डेवलपर्स की गलतियों और दिवालियापन की घटनाओं की वजह से इस सेक्टर में गिरावट आई है.
नाइक फ्रैंक के मुताबिक नकदी और मांग में कमी की वजह से स्थिति और अधिक बिगड़ गई है.
अधिकारियों के मुताबिक वित्त मंत्रालय रियल स्टेट और उर्जा सहित इंन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए स्ट्रैस फंड जारी करने पर विचार कर रहा है.
एनारॉक प्रोपर्टी कंसल्टेंट के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा कि कुछ चीजें बदली नहीं जा सकती हैं जैसे कि नोटबंदी.
पुरी ने कहा कि सिर्फ ब्याज दर कम करने या फिर केवल जीएसटी में कमी करने से स्थिति बदलने वाली नहीं है. हाउसिंग मार्केट में वर्तमान में छाई नरमी कई वजहों से आई हैं.
उन्होंने कहा कि लोगों में खर्च करने की प्रवृत्ति घट गई है. लोग प्रोपर्टी नहीं खरीद रहे हैं. यही हाल ऑटोमोबाइल सेक्टर का है.
उन्होंने कहा कि लंबे समय तक वित्तीय बंधनों के बजाय लोग किराये के मकान पर रहना या फिर किराये की गाड़ी का इस्तेमाल को प्राथमिकता दे रहे हैं.