SPG सुरक्षा से खिलवाड़ का खामियाजा देश भुगत चुका है: कांग्रेस


farmers will be forced to pay twenty seven percent premium on fasal bima yojna

 

एसपीजी अधिनियम में संशोधन का विरोध करते हुए कांग्रेस ने आगाह किया कि इतिहास गवाह है कि जब जब ऐसे नकारात्मक कदम उठाये गए उसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ा, वहीं बीजेपी ने कहा कि अब तक कानून में संशोधनों के माध्यम से ‘खिलवाड़’ होता रहा और अब यह खिलवाड़ बंद हो जाएगा.

कांग्रेस ने सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिजनों को विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) की सुरक्षा प्रदान करने की मांग केंद्र सरकार से की.

सदस्यों ने लोकसभा में विशेष सुरक्षा समूह (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान अपने विचार रखे.

गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में एसपीजी संशोधन विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिये रखते हुए कहा, ”मैं जो संशोधन लेकर आया हूं, उसके तहत एसपीजी सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके साथ उनके आवास में रहने वाले उनके परिवार के सदस्यों के लिए ही होगी और सरकार द्वारा आवंटित आवास में रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को पांच साल की अवधि तक एसपीजी सुरक्षा प्राप्त होगी.”

विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा, ”इतिहास गवाह है कि जब जब ऐसे नकारात्मक कदम उठाये गए, देश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है.”

उन्होंने कहा कि विशेष लोगों को उनकी जान पर खतरे के आकलन के आधार पर सुरक्षा दी जाती है लेकिन खुफिया तंत्र द्वारा किया गया यह आकलन वैज्ञानिक रूप से त्रुटिहीन तो नहीं होता.

तिवारी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का एसपीजी सुरक्षा हटाने के फैसले का खामियाजा देश ने उनकी हत्या के बाद भुगता.

उन्होंने कहा कि राजीव गांधी की एसपीजी वापस लेना तत्कालीन वी पी सिंह सरकार का ”राजनीतिक फैसला” था.

कांग्रेस सदस्य ने कहा कि अब्राहम लिंकन, महात्मा गांधी, जे एफ केनेडी, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, बेनजीर भुट्टो, बेअंत सिंह, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे कई देश-विदेश के सार्वजनिक जीवन में काम कर रहे लोगों की हत्या की गई और उनके निर्णयों से प्रभावित लोगों ने इसकी साजिश रची.

तिवारी ने प्रतिष्ठित हस्तियों की सुरक्षा पर खतरे के आकलन को ‘चुनिंदा’ तरीके से किए जाने का दावा करते हुए कहा, ”अब सुरक्षा खतरे का आकलन राजनीतिक प्रक्रिया बन चुकी है.”

उन्होंने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने के सरकार के फैसले की ओर इशारा करते हुए कहा, ”क्या प्रधानमंत्री पद से हट जाने के बाद उन्हें, उनके परिवारों को उनके लिए गए निर्णयों की वजह से प्रभावित लोगों से चुनौती खत्म हो जाती है? ऐसा नहीं होता.”

तिवारी ने कहा कि जान लेने की साजिश रचने वाले लोग ऐसे समय की ही प्रतीक्षा करते हैं जब सुरक्षा चुस्त-दुरुस्त नहीं हो.

उन्होंने कहा कि जो तर्क पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा हटाते समय दिया गया था, वही आज भी सरकार दे रही है कि एसपीजी के पास इतनी क्षमता नहीं है.

कांग्रेस सांसद ने यह भी कहा कि जून 2019 तक गांधी परिवार को एसपीजी की ओर से सुरक्षा खतरों का हवाला देते हुए देश-विदेश में कई जगहों पर नहीं जाने की सलाह दी जाती रही लेकिन नवंबर 2019 तक अचानक क्या हो गया कि एसपीजी सुरक्षा की जरूरत ही खत्म हो गई.

उन्होंने कहा कि हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और सरकार को पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिजनों को आजीवन एसपीजी सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए.

भाजपा के सत्यपाल सिंह ने कहा कि 1988 के बाद से एसपीजी कानून में संशोधन लाकर कई बार खिलवाड़ किया गया लेकिन अब मौजूदा संशोधन विधेयक के बाद यह खिलवाड़ बंद हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि कई बार खुफिया तंत्र लोगों पर खतरे का ‘चुनिंदा’ तरीके से आकलन करता है और लोगों को गैर जरूरी तरीके से सुरक्षा मिलती रहती है.

सिंह ने कहा कि ”बल्कि ऐसे लोगों को सुरक्षा मिलती रहती है जिन्हें खतरा नहीं, बल्कि जिनसे समाज को खतरा है.”

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सिंह ने 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही अंगरक्षकों द्वारा हत्या और उसके बाद देश में हुए सिख नरसंहार का भी जिक्र किया. उन्होंने उस समय राजीव गांधी के एक कथित विवादास्पद बयान का भी जिक्र किया जिस पर कांग्रेस सदस्यों ने आपत्ति जताई.


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