झारखंड में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने 47 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत किया हासिल
झारखंड विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने 23 दिसंबर की देर रात तक सभी 81 सीटों के परिणाम घोषित कर दिये हैं और राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व में बने झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने 47 सीटें जीत कर स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर लिया है.
झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने 27 दिसंबर को मोरहाबादी मैदान में नई सरकार के शपथग्रहण की घोषणा की है.
मुख्यमंत्री रघुवर दास और पार्टी के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा हारे
सत्ताधारी बीजेपी के मुख्यमंत्री रघुवर दास और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा चुनाव हार गए हैं और बीजेपी को सिर्फ 25 सीटें हासिल हुई. इन चुनावों में झामुमो ने रिकार्ड 30 सीटें जीतीं जिससे वह विधानसभा में सबसे बड़ा दल भी बन गया.
सिर्फ 25 सीटें जीत पाने से बीजेपी का विधानसभा में सबसे बड़ा दल बनने का सपना भी चकनाचूर हो गया.
बीजेपी को 25 सीटें, विपक्षी गठबंधन 47 सीटों पर विजयी
झारखंड विधानसभा की 81 सीटों के लिए 30 नवंबर से प्रारंभ होकर 20 दिसंबर तक पांच चरणों में हुए चुनावों के अंतिम परिणाम देर रात घोषित हुए. बीजेपी को सिर्फ 25 सीटें प्राप्त हुईं, वहीं विपक्षी गठबंधन को कुल 47 सीटें प्राप्त हुईं.
गठबंधन में झामुमो को जहां 30 सीटें हासिल हुईं वहीं कांग्रेस को भी 16 और राजद को एक सीट प्राप्त हुई.
आजसू को गठबंधन तोड़ने का जबर्दस्त नुकसान
इनके अलावा बीजेपी की सरकार में सहयोगी रही आजसू को भी गठबंधन तोड़ने का जबर्दस्त खामियाजा भुगतना पड़ा और उसे सिर्फ दो सीटों से संतोष करना पड़ा जबकि उसने 53 सीटों पर चुनाव लड़ा था. आजसू के अध्यक्ष सुदेश महतो सिल्ली से और गोमिया से लंबोदर महतो ही पार्टी की ओर से विधानसभा पहुंच सके.
झारखंड विकास मोर्चा ने भी बड़ी उम्मीदों के साथ सबसे अधिक 81 की 81 सीटों पर अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे. लेकिन उसे अपने सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी और विधायक दल के नेता प्रदीप यादव के अलावा सिर्फ एक और सीट पर जीत हासिल हुई और वह शेष 78 सीटों पर हार गई.
भाकपा माले लिबरेशन के विनोद सिंह जीते
इनके अलावा इन चुनावों में भाकपा माले लिबरेशन के विनोद सिंह और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कमलेश सिंह तथा दो निर्दलीयों ने भी सफलता हासिल की. जहां हार के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने संवाददाता सम्मेलन में दो टूक कहा कि यह हार उनकी व्यक्तिगत हार है और यह बीजेपी की हार नहीं है. वहीं झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने इस जीत को जनता का स्पष्ट जनादेश बताया और कहा कि इससे उन्हें जनता की आकांक्षा पूरा करने के लिए संकल्प लेना होगा.
हेमंत सोरेन ने कहा कि आज के चुनाव परिणाम राज्य के इतिहास में नया अध्याय हैं और यह मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने विश्वास दिलाया कि लोगों की उम्मीदें वह टूटने नहीं देंगे.
वोट जोड़ने में कामयाब रहा महागठबंधन
महागठबंधन करके कांग्रेस-झामुमो और राजद ने अपने वोटों को जोड़ने में सफलता हासिल की वहीं वर्ष 2014 के विधानसभा और हाल के लोकसभा चुनावों में गठबंधन सहयोगी रहे बीजेपी और आजसू अलग होकर बुरी तरह घाटे में रहे.
पिछले विधानसभा चुनावों में जहां बीजेपी ने 37 सीटें जीती थीं वहीं वह इस बार सिर्फ 25 पर सिमट गई. जबकि उसकी सहयोगी रही आजसू पिछली विधानसभा में सिर्फ आठ सीटें लड़कर पांच सीटों पर जीती थी जबकि इस बार उसने 53 सीटें लड़कर महज दो सीटों पर जीत दर्ज की.
कम से कम 12 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां दोनों पार्टियों के मत जोड़ देने से उनके उम्मीदवार की जीत संभव थी.
परिणाम पर खुशी जताते हुए हेमंत सोरेन ने कहा, ”आज हमारे लिए जनता की सेवा के लिए संकल्प का दिन है.”
उन्होंने कहा कि आज राज्य में जो परिणाम आये हैं वह हम सभी के लिए उत्साह का दिन है. जनता का जनादेश स्पष्ट है.
उन्होंने कहा, ”आज राज्य में आया जनादेश झारखंड के इतिहास में नया अध्याय साबित होगा. यह यहां मील का पत्थर साबित होगा.”
उन्होंने कहा कि हम यह पूरा प्रयास करेंगे कि लोगों की उम्मीदें टूटें नहीं. उन्होंने स्पष्ट किया कि महागठबंधन पूरे राज्य के सभी वर्गों, संप्रदायों और क्षेत्रों की आकांक्षाओं का ख्याल रखेगा.
लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी की पहली स्पष्ट हार
इस वर्ष मई में आये लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद बीजेपी की किसी राज्य विधानसभा चुनाव में यह पहली स्पष्ट हार है. लोकसभा चुनावों में झारखंड में भी बीजेपी ने 14 में से 11 सीटें और उसकी सहयोगी आजसू ने एक सीट जीती थी जबकि कांग्रेस और झामुमो के हाथ सिर्फ एक-एक सीट लगी थी. यहां तक कि झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन भी दुमका लोकसभा सीट से चुनाव हार गये थे.
इससे पूर्व महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में वह शिवसेना के साथ गठबंधन में चुनाव जीतकर भी अपनी सरकार नहीं बना सकी और हरियाणा में बहुमत का आंकड़ा न पा सकने के बाद उसने किसी तरह दुष्यन्त चौटाला के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाई.
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