ट्रेड वार: अमेरिका और चीन के बीच पहले दौर की वार्ता बेनतीजा
अमेरिका और चीन के बीच चल रहा ‘ट्रेड वार’ फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा. दोनों देशों के बीच हाल में चल रही बातचीत बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई है. हालांकि चीन की ओर से बयान आया है कि वार्ता जारी रहेगी. चीन ने कहा है कि आगे की बातचीत बीजिंग में होगी.
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा था कि उन्हें किसी नतीजे तक पहुंचने के लिए हड़बड़ी करने की जरूरत नहीं थी.
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव उस वक्त बढ़ गया जब ट्रंप प्रशासन ने चीनी वस्तुओं पर लगने वाला कर 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया. इसके बाद चीन की ओर से बयान आया था कि बिना किसी जानकारी के इसे थोप दिया गया है.
अमेरिकी सरकार का ये फैसला ऐसे समय में आया था जब चीन और अमेरिका के वार्ताकार आयात कर को लेकर वाशिंगटन में मिलने वाले थे. दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर चल रहे तनाव की वजह से पूरी दुनिया के बाजार प्रभावित हो रहे हैं.
चीन की ओर से ल्यू ही इस विषय में बातचीत के लिए वाशिंगटन पहुंचे हुए थे. गुरुवार को ल्यू और अमेरिकी वार्ताकार रॉबर्ट लिथीजर के बीच लंबी वार्ता हुई थी. लेकिन शुक्रवार को हुई वार्ता जल्दी समाप्त हो गई.
हालांकि दोनों ओर से जारी बयान में कहा गया कि बातचीत काफी रचनात्मक रही. लेकिन फिलहाल वे किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं. आगे की वार्ता बीजिंग में होगी.
शेयर बाजार पर इसका सीधा असर दिखाई पड़ा. शुरुआती रुझान में वॉल स्ट्रीट के शेयरों में गिरावट दिखाई पड़ी, लेकिन वार्ता जारी रहने की खबरों के बीच फिर से तेजी का रुख नजर आया.
आयात कर बढ़ाने के बाद ट्रंप ने कहा था कि इससे उनके देश में ज्यादा धन आएगा. उन्होंने इसे आसान और जल्दी होने वाला भी बताया था.
आयात कर में इस नए इजाफे से पहले अमेरिका करीब पांच हजार करोड़ के आयात पर 25 फीसदी आयात कर लगाता था. अब ये बढ़कर 20 हजार करोड़ की वस्तुओं पर हो गया है. ट्रंप चीनी वस्तुओं पर जुर्माना बढ़ाने की बात भी कह चुके हैं.
अमेरिकी टैक्स में इजाफा होने के बाद चीन ने भी प्रतिक्रिया स्वरूप 11 हजार करोड़ रुपये की वस्तुओं पर आयात कर बढ़ा दिया था. हालांकि दोनों देशों के बीच ट्रेड बैलेंस चीन के पक्ष में है, जिसके चलते चीन अमेरिकी वस्तुओं पर जुर्माना नहीं लगा सका है.
अमेरिका कार निर्माता कंपनी फोर्ड ने इसको लेकर चिंता जताई है. फोर्ड के प्रवक्ता रैचल मैक्लीरी ने कहा कि कार निर्माता चीन की प्रतिक्रिया को लेकर चिंतित हैं.
चीन अमेरिकी कंपनियों को अपने देश में कस्टम क्लीयरेंस देने के नियम भी सख्त कर रहा है.