श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग जारी, मतदाताओं की बसों पर गोलीबारी
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं. इस बीच मतदाताओं को ले जा रही बसों के काफिले पर बंदूकधारियों की ओर से गोलीबारी की खबर आई है. पुलिस ने कहा है कि गोलीबारी में कोई हताहत नहीं हुआ है.
एक अन्य मीडिया खबर के अनुसार 15 नवंबर को विषाक्त भोजन खाने से चुनाव ड्यूटी पर तैनात श्रीलंका के कम से कम पचास अधिकारी बीमार हो गए और उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया.
अखबार लंका मिरर के अनुसार अधिकारियों की तैनाती कोलंबो के रॉयल कॉलेज में मतदान केंद्र पर हुई थी. अधिकारियों को नेशनल हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है.
इस बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिकॉर्ड 35 उम्मीदवार मैदान में है. लेकिन मुख्य मुकाबला पूर्व गृह सचिव गोतबया राजपक्षे और आवास मंत्री सजित प्रेमदासा के बीच माना जा रहा है.
फिलहाल चीन कई मोर्चों पर संकट का सामना कर रहा है. जिनमें आर्थिक सुस्ती, भ्रष्टाचार और जातीय तनाव प्रमुख हैं. अप्रैल में आतंकी हमले की वजह से श्रीलंका का पर्यटन उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इस सिलसिलेवार हमले में 250 से अधिक लोगों की जान चली गई थी.
अगले साल 2020 में होने वाले संसदीय चुनाव से पहले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को इन समस्याओं को सुलझाने की चुनौती होगी.
2.1 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका में मतदाताओं की संख्या करीब 1.6 करोड़ है. राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवारों को कम-से-कम 50 फीसदी वोट हासिल करना होता है. 50 फीसदी वोट नहीं मिलने की स्थिति में पहली और दूसरी वरीयता के आधार पर मिले वोट के आधार पर फैसला होता है.
चुनाव में राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की पार्टी श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) ने राजपक्षे का समर्थन किया है.
गोतबया राजपक्षे अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में सरकार के साथ काम कर चुके हैं. अल्पसंख्यक और मीडिया विरोधी रुख के लिए गोतबया राजपक्षे की आलोचना होती रही है. जानकारों के मुताबिक अलग राजपक्षे राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करते हैं तो इससे देश में जातीय हिंसा तेज हो सकती है.
पूर्व राष्ट्रपति के बेटे प्रेमदासा सरकार में आवास, निर्माण और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री हैं.
श्रीलंका की स्थिति पर करीबी नजर रखने वालों का मानना है कि चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा अहम मुद्दा रहने वाला है. वहीं कुछ विश्लेषकों ने शंका जाहिर की है कि राजपक्षे इसकी आड़ में मुस्लिम और अल्पसंख्यक विरोधी गतिविधियों को तेज कर सकते हैं. राजपक्षे का चरमपंथी बौद्ध संगठनों से अच्छे संबंध रहे हैं.
भौगोलिक और सामरिक दृष्टि से श्रीलंका की स्थिति भारत और चीन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. हिन्द महासागर स्थित श्रीलंका की निर्भरता चीन पर बढ़ी है. राजपक्षे भी चीन की ओर झुकाव रखते हैं.