पश्चिम बंगाल में बिहार से ज्यादा होते हैं बाल-विवाह
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अगर आपको लगता है कि बाल-विवाह के मामले में आर्थिक रूप से पिछड़े राज्य ऊपर हैं तो आप गलत हैं. अब इस मामले में पश्चिम बंगाल ने बिहार को पीछे छोड़ दिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस मामले की पड़ताल करते हुए एक रिपोर्ट पेश की है.
अभी तक देखा जाता रहा है कि आर्थिक
रूप से पिछड़े राज्य जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान इस मामले में सबसे ऊपर
रहते थे, लेकिन नए आंकड़ो के तहत इस मामले में इन राज्यों ने प्रगति कर ली है.
आर्थिक स्तर पर हुई प्रगति के चलते
देश में शिक्षा का स्तर बढ़ा है जिससे बाल-विवाह जैसी कुप्रथाओं का चलन कम हुआ है.
देश के कुछ राज्य जैसे बिहार, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश ने इस मामले में
बेहद प्रगति की है.
अगर आंकड़ो की बात करें तो उत्तर प्रदेश में केवल 6.4 फीसदी लड़कियों की शादी 15 से 19 साल की उम्र में की जाती है. लेकिन पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में हालात बदतर हैं.
2015-16 में हुए राष्ट्रीय परिवार
स्वास्थ्य सर्वे-4 (एनएफएचएस-4) के मुताबिक इस उम्र की लड़कियों के विवाह का
राष्ट्रीय औसत 11.9 फीसद है.
इससे पहले 2005-06 में हुए
एनएफएचएस-3 के मुताबिक बाल-विवाह के मुकाबले में बिहार सबसे ऊपर था. यहां इसका औसत
47.8 फीसदी था. जबकि झारखंड 44.7 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर था. राजस्थान में ऐसी
शादियों का औसत 40.4 फीसदी था.
लेकिन 10 साल बाद जब दूसरा सर्वे
सामने आया तो बीमारू कहे जाने वाले राज्य जैसे बिहार, राजस्थान, झारखंड और उत्तर
प्रदेश ने अच्छी प्रगति कर ली थी. इन सभी राज्यों में पहले के मुकाबले बाल-विवाह
में 20 फीसदी की कमी आई थी.
इस दौरान पश्चिम बंगाल में बहुत कम
पैमाने पर इस कुप्रथा में सुधार दर्ज किया गया. यहां इन आंकड़ों में केवल 8.4 फीसद
का सुधार दर्ज किया गया.
अगर जिले वार आंकड़ों की बात करें तो पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद 39.9 फीसदी के साथ सबसे है. इस मामले में आर्थिक रूप से आगे माने वाला गुजरात भी बहुत आगे नहीं है.
इस कुरीति में गुजरात का गांधीनगर 39.9 फीसद के साथ देश में दूसरे नंबर पर है. राजस्थान का भीलवाड़ा इस मामले में 36.4 फीसदी के साथ तीसरे स्थान पर है.