सरकार के प्रति उदार बनने के लिए आरबीआई ने किया डेटा का खेल


npa ratio of banks may increase to ten percent in september says reserve bank

 

आरबीआई की आय में पिछले साल की तुलना में इस साल 147 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है. यह वृद्धि बीते पांच वर्षों में सबसे अधिक है.

ऐसे में सवाल उठता है कि सुस्ती की ओर बढ़ती अर्थव्यवस्था और खस्ता हालत निजी बैंकों और एनबीएफसी के बीच भी आरबीआई की आय में बढ़ोतरी कैसे आई.

रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना आय में बढ़ोतरी दिखाने के उद्देश्य से विदेशी मुद्रा लेनदेन के मूल्यांकन का तरीका ही बदल दिया है.

रिजर्व बैंक की आय 2017-18 में 78,281 करोड़ रुपये से बढ़कर 2018-19 में 193,036 करोड़ रुपये हो गई है.

2017-18 से 2018-19 के बीच आरबीआई को ब्याज से होने वाली कमाई में 44.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यहां चौंकाने वाली बात ये रही कि इसी दौरान बैंक को अन्य स्रोत्रों से होने वाली कमाई में 1854.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

विदेशी मुद्रा लेनदेन बैंक को अन्य स्रोत्रों से होने वाली आय का हिस्सा है. बीते साल 2017-18 में बैंक को विदेशी मुद्रा लेनदेन से जहां 4,067 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. वहीं सालाना रिपोर्ट में सामने आया है कि 2018-19 में विदेशी मुद्रा लेनदेन से बैंक को 28,998 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ.

साल 2016-17 में भी बैंक को विदेशी मुद्रा लेनदेन से 5,116 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

द टेलीग्राफ लिखता है कि विदेशी मुद्रा लेनदेन से होने वाली आय में ये बढ़ोतरी दरअसल इसके मूल्यांकन में इस्तेमाल होने वाली विधि में बदलाव के चलते आई है.

आरबीआई के मुताबिक 2013 में बनी मालेगाम कमिटी और जालान कमिटी की ओर से रिपोर्ट में दिए गए सुझावों पर काम करते हुए विदेशी मुद्रा लेनदेन की मूल्यांकन विधि में बदलाव किया गया है. रिजर्व बैंक ने अब मूल्यांकन के लिए long-period weighted average cost method (लंबी अवधि के भारित औसत लागत विधि) के इस्तेमाल का फैसला किया है.

इस विधि के इस्तेमाल का सबसे बड़ा फायदा ये हुआ है कि बैंक अपनी आय में बढ़ोतरी दिखाने में कामयाब हुआ है.


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