जर्मनी से जापान तक संकट में घिरती नजर आ रही है अर्थव्यवस्था


world economy sends up flares from germany to japan

 

वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर एक अक्टूबर को आए आंकड़े काफी चिंताजनक रहे. अमेरिका में फैक्ट्री इंडेक्स अप्रत्याशित तरीके से 2009 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया. इस बीच दक्षिण कोरिया में एक बार फिर अफस्पीति का खतरा मंडराने लगा. वहीं ऑस्ट्रेलिया के रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में रिकॉर्ड कटौती की.

इन सबसे स्टॉक्स और कोषागारों पर तो नकारात्मक प्रभाव पड़ा ही, साथ ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर भी संकट के बादल मंडराने लगे. वहीं उपभोक्ता मूल्य में भी काफी कमी आ गई.

अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध की वजह से अमेरिका और जर्मनी से लेकर जापान और रूस के व्यापारियों ने अपने व्यापार में घाटे की शिकायत की है. विश्व व्यापार संगठन ने वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए अपना अनुमान पिछले एक दशक में सबसे अधिक घटाया है.

हालांकि, चीन के विनिर्माण क्षेत्र में सुधार हुआ है और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता खर्च भी ठीक है लेकिन व्यापार युद्ध और ब्रेग्जिट के संकट के बीच आए ये संकेत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक हैं.

फिच रेटिंग्स लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन कोल्टन ने कहा, “1930 के बाद से ऐसे उदाहरण बहुत कम हैं जब वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापार नीतियों की वजह से व्यापक नकारात्मक प्रभाव पड़ा हो.”

यूएसबी ग्रुप के अर्थशास्त्रियों के अनुसार वैश्विक आर्थिक वृद्धि इस समय केवल 2.3 प्रतिशत की दर पर है. वहीं डैंस्क बैंक का मानना है कि अगले दो सालों के भीतर मंदी आने की तीस प्रतिशत आशंका है. वैश्विक स्तर पर बेरोजगारी बहुत तेजी से बढ़ रही है.

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर केवल व्यापार नीतियों से ही नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ रहा है. इसके लिए उद्योग क्षेत्र में आई परेशानियां भी एक हद तक जिम्मेदार हैं.

पिछले महीने कार के पार्ट्स बनाने वाली जर्मन कंपनी कॉन्टिनेंटल एजी ने पुनर्गठन की योजना बनाई है, इससे वैश्विक स्तर पर बीस हजार नौकरियां जा सकती हैं. वहीं जापान की कावासाकी ने भी कुछ ऐसी ही योजना बनाई है.


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