लगातार दूसरे महीने जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक
दिसंबर में लगातार दूसरी महीने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत राजस्व प्राप्ति एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रही.
आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर माह में जीएसटी से 1.03 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. इससे पहले नवंबर में यह आंकड़ा 1,03,492 करोड़ रुपये रहा था.
बयान के अनुसार, एक साल पहले दिसंबर में जीएसटी संग्रह 97,276 करोड़ रुपये रहा था.
बयान में कहा गया कि दिसंबर 2019 में जीएसटी से प्राप्त राजस्व का बढ़ना यह बताता है कि मांग बढ़ रही है और कर कानून अनुपालन में सुधार हो रहा है.
बयान में कहा गया, ”दिसंबर 2019 में घरेलू लेन-देन से प्राप्त जीएसटी राजस्व दिसंबर 2018 की तुलना में 16 प्रतिशत अधिक रहा है.”
यदि आयात से प्राप्त एकीकृत जीएसटी को जोड़ दिया जाए तो राजस्व संग्रह में साल भर पहले की तुलना में नौ प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
दिसंबर 2019 में आयात से प्राप्त एकीकृत जीएसटी में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है. हालांकि, यह नवंबर की तुलना में कुछ बेहतर है. नवंबर 2019 में इसमें 13 प्रतिशत की गिरावट रही थी.
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, इस बार दिसंबर में कुल 1,03,184 करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह हुआ. इसमें केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) से वसूली 19,962 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) से वसूली 26,792 करोड़ रुपये, एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) से 48,099 करोड़ रुपये और उपकर से वसूली 8,331 करोड़ रुपये रही. एकीकृत जीएसटी में से 21,295 करोड़ रुपये आयात से वसूली हुई. इसी प्रकार, उपकर की वसूली में 847 करोड़ रुपये आयातित माल पर उपकर से मिले.
दिसंबर महीने के अंत तक नवंबर के लिए 81.21 लाख जीएसटीआर3बी रिटर्न दायर किए गए. सरकार ने केंद्रीय जीएसटी के तहत 21,814 करोड़ रुपये तथा राज्य जीएसटी के तहत 15,366 करोड़ रुपये का निपटान किया.
इस दौरान सरकार को सीजीएसटी से 41,776 करोड़ रुपये और एसजीएसटी से 42,158 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बचे महीनों के लिए प्रति माह 1.1 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह का लक्ष्य रखा है.
आलोच्य माह के दौरान अरुणाचल प्रदेश ने जीएसटी संग्रह में दो गुना बढ़ोत्तरी दर्ज की और यह साल भर पहले के 26 करोड़ रुपये से बढ़कर 58 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इसके बाद नागालैंड ने 88 प्रतिशत, मणिपुर ने 64 प्रतिशत और तिजोरम ने 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की.
हालांकि, लक्षद्वीप का संग्रह 78 प्रतिशत गिरकर एक करोड़ रुपये और झारखंड का तीन प्रतिशत गिरकर 1,943 करोड़ रुपये पर आ गया.