मौलिक अधिकारों पर हमले का दौर
ट्रॉलिंग का निशाना पहले कई अकादमिक हस्तियां बनीं. मसलन हाल ही में रामचंद्र गुहा को अहमदाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाने से इनकार करना पड़ा. अब ट्रॉल्स एक मशहूर संगीतज्ञ का कार्यक्रम रद्द करवाने में कामयाब हो गए हैं.
अहम यह बात यह है कि इस आयोजन से एयरपोर्ट ऑथरिटी ऑफ इंडिया जुड़ा था. सवाल यह उठा है कि एक सरकारी संस्थान एक खास विचारधारा से प्रेरित उग्र तत्वों के दबाव में इस तरह सरेंडर कैसे कर सकता है. एयरपोर्ट ऑथरिटी ऑफ इंडिया ने
इस मामले में हथियार डाल दिया है.
ट्रोल्स उससे समर्पण करवाने में कामयाब हो गए. अपने इस व्यवहार के कारण सार्वजनिक क्षेत्र का ये संस्थान अब कठघरे में है. ऑथरिटी ने उस संगीत कार्यक्रम से हाथ खींच लिया, जिसमें कर्नाटक संगीत की मशहूर हस्ती टीएम कृष्णा का गायन होने वाला था.
टीएम कृष्णा पिछले कुछ समय से धर्मनिरपेक्षता और जातिवाद पर अपने विचारों के कारण उग्र हिंदू संगठनों के निशाने पर हैं. इस साल जनवरी में तमिलनाडु के तुरुपुर में एक हिंदुत्ववादी गुट ने उनके कार्यक्रम में तोड़फोड़ करने की धमकी थी. तब कड़ी सुरक्षा के बीच उस कार्यक्रम का आयोजन हुआ. लेकिन पिछले अगस्त में अमेरिका के मेरीलैंड में एक मंदिर में उनके कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया. अब ऐसा दिल्ली में हुआ है. यहां के नेहरू पार्क में 17 नवंबर को उनका गायन होने वाला था.
आयोजन एयरपोर्ट ऑथरिटी ऑफ इंडिया के साथ मिलकर स्पीक मैके ने किया था. जैसे ही इस आयोजन की खबर सामने आई, उग्र हिंदूत्ववादी समूहों ने सोशल मीडिया पर उसके खिलाफ अभियान छेड़ दिया. कहा गया कि कृष्णा ईसा मसीह और अल्लाह के बारे में गाते हैं.
42 वर्षीय इस मैगसेसे पुरस्कार विजेता को भारत विरोधी और अर्बन नक्सल बताया गया. तब एयरपोर्ट ऑथरिटी ने अपने हाथ खींच लिए.
ये राय जताई गई है कि ऑथरिटी ने भारत के संविधान से नागरिकों को मिले बुनियादी अधिकारों के पक्ष में खड़ा होने से इनकार कर दिया है.
भारत संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (a) के तहत भाषण एवं अभिव्यक्ति और 19 (1) (बी) के तहत किसी जगह पर शांतिपूर्ण ढंग से इकट्ठा होना नागरिकों का मौलिक अधिकार है. इन अधिकारों पर कुछ विवेकपूर्ण सीमाएं हैं, मसलन भीड़ शांतिपूर्ण एवं सद्भावपूर्ण रहे, वहां इकट्ठा लोग निरस्त्र रहें और किसी दूसरे की सुरक्षा को खतरा ना पहुंचाएं.
दिल्ली के नेहरू पार्क में होने वाली सभा से शांति भंग होने या किसी की सुरक्षा को खतरा पैदा होने का कोई अंदेशा नहीं है.
वर्षों से स्पीक मैके इस पार्क में संगीत समारोहों का आयोजन करता रहा है. ऐसे में सहमति देने के बाद टीएम कृष्णा के कार्यक्रम से एयरपोर्ट ऑथरिटी के हाथ खींचने की कोई तार्किक वजह नहीं हो सकती.
इसका अकेला कारण यह समझ में आता है कि टीएम कृष्णा के खिलाफ मुहिम चलाने वाले संगठनों की मौजूदा सरकार तक वैचारिक पहुंच के कारण इस सरकारी संस्था के अधिकारी डर गए और उन्होंने ऐसे मामले में ना पड़ने में ही अपना भला समझा.