IAS के सपनों में सूराख


 

पिछले कुछ दिनों में देश के दो IAS अफसरों ने नौकरी छोड़ दी. दोनों ने नौकरी छोड़ने की वजह एक जैसी बताई. यानी देश के मौजूदा हालात और देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर मंडराते खतरे की चिंता. क्या वाकई हालात ऐसे हैं जिन्हें देखकर सरकारी अफसरों को भी देश का लोकतंत्र खतरे में नज़र आने लगा है? एक IAS अफसर किसके प्रति जिम्मेदार होता है, देश की सरकार के प्रति या संविधान के प्रति?


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