अनुच्छेद 370 पर फैसले को राहुल गांधी ने कार्यकारी शक्तियों का दुरुपयोग बताया


Govt used executive powers to tear apart j&k says Rahul Gandhi

 

बीजेपी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए इसे कार्यकारी शक्तियों का दुरुपयोग करार दिया.

राहुल ने गृह मंत्री अमित शाह की ओर से किए गए दावों पर निशाना साधते हुए ट्वीट पर कहा, “एकतरफा फैसला करते हुए जम्मू-कश्मीर को अलग कर देने से, चुने हुए प्रतिनिधियों को गिरफ्तार करके और संविधान का उल्लंघन करके देश में एकता नहीं बढ़ेगी. देश यहां के लोगों से बना है, किसी जमीन के टुकड़े से नहीं. कार्यकारी शक्तियों का दुरुपयोग हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है.”

एक दूसरे ट्वीट में राहुल गांधी ने कश्मीर के दो प्रमुख नेताओं महबूबा मुफ्ती और ओमर अब्दुल्ला की गिरफ्तारी को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बताया है. राहुल गांधी ने सरकार के इस कदम को मूर्खतापूर्ण बताते हुए लिखा है कि इस कदम से कश्मीर में पैदा हुए नेतृत्व के खालीपन को भरने में आतंकवादियों को सहूलियत होगी. उन्होंने जल्द से जल्द दोनों नेताओं की रिहाई की मांग भी की है.

वहीं कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के कदम के संवैधानिक आधार पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया कि संसद में आज जो रहा है वो एक संवैधानिक त्रासदी है.

कश्मीर पर सरकार के संकल्प का विरोध करते हुए कांग्रेस के सदस्य मनीष तिवारी ने लोकसभा में कहा कि संसद में आज जो हो रहा है, वह त्रासदी है.

जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के इतिहास का उल्लेख करते हुए तिवारी ने कहा कि संविधान में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी राज्य को विभाजित करने या उसके भौगोलिक क्षेत्र में बदलाव करने का कदम उठाने से पहले संबंधित राज्यों की विधानसभा की संस्तुति लेनी आवश्यक है.

उन्होंने कहा, जम्मू कश्मीर अगर आज भारत का अभिन्न अंग है तो वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की वजह से है.

आगे उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को दो राज्यों में विभाजित करने के लिए वहां की विधायिका की कोई अनुमति नहीं ली गई. वहां की विधानसभा भंग की गई और अब संसद में ही राज्य के बारे में फैसला हो रहा है.

तिवारी ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि किसी प्रदेश को केंद्रशासित राज्य में बांटा जा रहा है, “इसलिए मैं कहा रहा हूं कि यहां जो रहा है वो संवैधानिक त्रासदी है.”

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पूर्वोत्तर और देश के कुछ अन्य राज्यों को अनुच्छेद 371 के तहत विशेष अधिकार हासिल हैं. क्या आप यह संदेश दे रहे हैं कि राज्य विधानसभाओं की राय लिए बिना वहां के बारे में फैसला करेंगे? क्या आगे आप पूर्वोत्तर के राज्यों से उनके विशेष अधिकार छीन लेंगे?

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जो कदम उठाया है वो देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है.


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