10 फीसदी आरक्षण एक दोषपूर्ण सोच : अमर्त्य सेन
PTI
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले को एक ‘दोषपूर्ण सोच’ बताया है. 10 जनवरी को कोलकाता में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के इस फैसले के गंभीर आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव होंगे.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ‘उच्च विकास दर’ को बनाए रखने में तो कामयाब रही है, लेकिन इस उपलब्धि को रोजगार, गरीबी उन्मूलन और बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में बदल नहीं पाई. उन्होंने उच्च विकास दर का श्रेय पूर्ववर्ती यूपीए सरकार को दिया है.
उन्होंने कहा, ‘‘उच्च जाति वाले कम आय के लोगों के लिए आरक्षण एक अलग समस्या है. अगर सारी आबादी को आरक्षण के दायरे में लाया जाता है तो यह आरक्षण खत्म करना होगा.’’
उन्होंने भारत के अर्थव्यवस्था की विकास दर पर कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह सकते हैं कि ‘हां हमने इसे जारी रखा है’. भारत के आर्थिक विकास में बड़ी कमी नहीं आई है. लेकिन रोजगार निर्माण, असमानता को कम करने, गरीबी उन्मूलन और सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा मामलों में आर्थिक विकास का लाभ हासिल नहीं किया जा सका.”
उन्होंने नोटबंदी के बाद जीएसटी को लागू किए जाने को अर्थव्यवस्था पर दोहरी मार बताया. उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह कहने के लिए चुनावी सफलता या विफलता को आधार नहीं बनाना चाहिए कि नोटबंदी बहुत नकारात्मक थी या जीएसटी को बहुत खराब ढंग से लागू किया गया.’’
जब अर्थशास्त्री से पूछा गया कि क्या इन दोनों वजहों से बीजेपी को हाल ही में पांच विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा तो उन्होंने कहा कि पक्के तौर पर कुछ कहने के लिए चुनावी अध्ययन की जरूरत है, जो उन्होंने नहीं किया है.