जम्मू-कश्मीर पहुंचा यूरोपीय सांसदों का दल


27 european union mp travelling to jammu and kashmir

 

27 यूरोपीय सांसदों का एक दल कश्मीर पहुंच चुका है.  5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर दौरे के लिए इजाजत मिली है.

उन्हें इस यात्रा के लिए कल मंजूरी मिली थी.

यूरोपीय संसद के इन सदस्यों ने अपनी दो दिवसीय कश्मीर यात्रा के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की.

एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दौरे से शिष्टमंडल को जम्‍मू, कश्‍मीर और लद्दाख क्षेत्र की सांस्‍कृतिक एवं धार्मिक विविधता को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही वे इस क्षेत्र के विकास एवं शासन से संबंधित प्राथमिकताओं की सही स्थिति से अवगत होंगे.

प्रतिनिधिमंडल में यूरोपियन यूनियन के नौ देशों के सदस्य हैं.

सरकार के इस कदम की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की और कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि वह यूरोपीय सांसदों को वहां जाने की अनुमति दे रही है लेकिन भारतीय नेताओं को ऐसा करने से रोक रही है जो कि भारत के लोकतंत्र और इसकी संप्रभुता का अपमान है.

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, ‘उम्मीद है कि उन्हें लोगों, स्थानीय मीडिया, डॉक्टरों और नागरिक समाज के सदस्यों से बातचीत करने का मौका मिलेगा. कश्मीर और दुनिया के बीच के लोहे के आवरण को हटाने की जरूरत है. जम्मू-कश्मीर को अशांति की ओर धकेलने के लिए भारत सरकार को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए.”

एक के बाद एक कई ट्वीट कर उन्होंने ट्वीट कर अमेरिकी सीनेटरों को अनुमति नहीं देने के केंद्र के फैसले पर भी सवाल उठाया.

महबूबा अभी नजरबंदी में हैं. उनका ट्वीटर हैंडल फिलहाल उनकी बेटी इल्तिजा संभालती हैं.

उन्होंने एक अन्य ट्वीट के माध्यम से कहा, ‘प्रतिनिधिमंडल  जम्मू-कश्मीर के तीनों मुख्यमंत्रियों से क्यों नहीं मिल सकता है. ‘

महबूबा मुफ्ती के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्लाह और उमर अब्दुल्लाह भी नजरबंद हैं.

महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा कि सरकार ने राज्य के बंटवारे के बाद राहुल गांधी की यात्रा पर रोक लगाई थी. और अब यूरोपियन यूनियन के धुर दक्षिणपंथी सांसदों को यहां आने की इजाजत मिल गई है.

बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया था, ‘मुझे आश्चर्य है कि विदेश मंत्रालय ने यूरोपीय संघ के सांसदों के लिए जम्मू-कश्मीर के कश्मीर क्षेत्र के दौरा की व्यवस्था की है. यह निजी यात्रा है (यूरोपीय संघ का आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं). यह हमारी राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है. मैं सरकार से इस यात्रा को रद्द करने का आग्रह करता हूं क्योंकि यह अनैतिक है.’

अगस्त में सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल की यह पहली यात्रा है. यह यात्रा कश्मीर की स्थिति पर यूरोपीय संसद में हुई बहस के कुछ हफ्ते बाद हो रही है, जिसमें वहां की स्थिति को लेकर चिंता जताई गयी थी.

सूत्रों के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल जम्मू कश्मीर प्रशासन के अधिकारियों और स्थानीय लोगों से मुलाकात करेगा. दो दिवसीय यात्रा के दौरान, वे राज्यपाल से भी मुलाकात कर सकते हैं. उनके मीडिया के साथ बातचीत करने की भी संभावना है.

प्रतिनिधिमंडल में इटली के फुल्वियो मार्तुसिएलो, ब्रिटेन के डेविड रिचर्ड बुल, इटली की जियाना गैंसिया, फ्रांस की जूली लेंचेक, चेक गणराज्य के टामस डेकोवस्की, स्लोवाकिया के पीटर पोलाक और जर्मनी के निकोलस फेस्ट शामिल हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने आरोप लगाया, ”यूरोपीय संघ के सांसदों के लिए सरकार की ओर से रेड कार्पेट बिछाया जाना और उन्हें जम्मू-कश्मीर के दौरे के लिए आमंत्रित करना भारतीय संसद की संप्रभुता और सांसदों के विशेषाधिकार का अपमान है.”

पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, ”जब भारतीय नेताओं को जम्मू-कश्मीर के लोगों से मुलाकात करने से रोक दिया गया तो फिर राष्ट्रवाद का चैम्पियन होने का दावा करने वालों ने यूरोपीय नेताओं को किस वजह से जम्मू-कश्मीर का दौरा करने की इजाजत दी ?”

उन्होंने आरोप लगाया, ”यह भारत की संसद और लोकतंत्र का अपमान है.”


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