कड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद ब्रिटेन में पर्यावरण आपातकाल घोषित


after weeks of protest UK declare climate emergency

 

लंदन में दो हफ्तों तक चले कड़े विरोध प्रदर्शन के बाद ब्रिटेन ने पर्यावरण और जलवायु आपातकाल घोषित कर दिया है.

लेबर पार्टी ने द्वारा पेश किया गया प्रस्ताव संसद में पारित होने के बाद पार्टी ने ट्विटर पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “लेबर पार्टी का शुक्रिया, यूके मौसम और पर्यावरण आपातकाल घोषित करने वाला पहला देश बन गया है. अब समय है रियल एक्शन का.”

पार्टी नेता जर्मी कार्बिन ने कहा, “यह कदम विश्व भर के देशों और उनकी संसदों को इस दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगा.”

उन्होंने कहा,”हम पर्यावरण संकट दूर करने के लिए काम कर रहे देशों के साथ इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं और साथ ही ये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी संदेश है कि वो अंतरराष्ट्रीय संधियों और जलवायु संकट दूर करने के लिए उठाए गए फैसलों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं.”

कार्बिन के मुताबिक इस कदम के बाद सरकार पर दबाव बढ़ेगा कि वो 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़े तापमान को देखते हुए 2030 तक वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को आधे से ज्यादा कम करने के लिए ठोस कदम उठाए.

‘इक्स्टिंगशन रिबेल्यन’ नामक संगठन ने लंदन में प्रदर्शनों का आयोजन किया था. प्रदर्शनकारियों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन करते हुए लंदन सेंट्रल में पुल और प्रमुख सड़क चौराहों को जाम कर दिया था. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया था.

पिछले साल कुछ शिक्षाविदों ने ब्रिटेन में इस समूह का गठन किया था और अब यह विश्व के सबसे तेजी से बढ़ने वाला पर्यावरणीय अभियानों में से एक बन गया है.

प्रस्ताव पारित होने के बाद ‘इक्स्टिंगशन रिबेल्यन’ ने कहा कि ये पारिस्थितिकी और जलवायु आपातकाल की दिशा में सरकार की ओर से उठाया गया पहला कदम है.

पर्यावरण आपातकाल की घोषणा समूह की ओर से की गई प्रमुख मांगों में शामिल थी.

प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख तौर पर तीन मांगें रखी थीं: पहली, सही स्थिति स्पष्ट करते हुए जलवायु और पारिस्थितिकीय आपातकाल लगाया जाए. वहीं दूसरी मांग है कि साल 2025 तक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन शून्य तक घटाया जाए. तीसरी मांग है कि जलवायु और पारिस्थितिकीय मुद्दे पर परिषद का गठन किया जाए.

संगठन के मुताबिक अब इस कदम के बाद राजनेताओं पर इस दिशा में कड़े और जरूरी फैसले लेना का दबाव बढ़ेगा.


ताज़ा ख़बरें