बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर के प्रमुख पार्टी नेताओं की ‘जरूरी बैठक’ बुलाई


bjp calls party core leaders from state for urgent meeting

 

जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त जवानों की तैनाती को लेकर जारी गहमागमी के बीच सत्तारूढ़ बीजेपी ने राज्य से पार्टी प्रमुखों को 30 जुलाई को ‘जरूरी बैठक’ के लिए दिल्ली बुलाया है.

बैठक की अध्यक्षता कार्यकारी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा कर सकते हैं. साथ ही मुख्य सचिव बीएल संतोष भी मौजूद रहेंगे. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बैठक में शामिल होने को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है.

जम्मू-कश्मीर इकाई के सदस्यों ने बैठक होने की पुष्टि की है, हालांकि अभी उन्हें बैठक के एंजेंडे के बारे में जानकारी नहीं दी गई है. द इंडियन एक्स्प्रेस को जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने बताया कि “काफी जल्दी में ये बैठक बुलाई गई है, ऐसे में लगता है कि मुद्दा जरूरी है. हो सकता है अनुच्छेद 35ए के संबंध में चर्चा हो या राज्य विधानसभा चुनाव भी मुद्दा हो सकता है.”

वहीं एक अन्य नेता ने अनुच्छेद 35ए के संबंध में चर्चा होने की संभावनाओं से इनकार करते हुए कहा, “35ए का मामला कोर्ट में लंबित है तो फिर उस पर कोई कदम उठाने के संबंध में चर्चा क्यों होगी. हम कोर्ट के फैसले के अनुसार ही काम करेंगे.”

वहीं इस बीच विपक्षी पार्टियां राज्य में सशस्त्र बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती पर शंका जाहिर करते हुए सरकार द्वारा 35ए और 370 को रद्द करने की संभावनाओं की ओर इशारा कर रही हैं. इन बयानों पर एक बीजेपी नेता ने कहा, “कश्मीरी नेता विधानसभा चुनावों से पहले भारत का सर्मथन करने वाली पार्टियों के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.”

पिछले महीने चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि अमरनाथ यात्रा के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों पर राजनीतिक दलों, राज्य एंव केंद्र सरकारों से सलाह के बाद ही फैसला किया जाएगा. यात्रा 15 अगस्त को खत्म हो रही है.

हालांकि बीजेपी चुनावों को लेकर जल्दबाजी नहीं करना चाहती है. ऐसे में खबरें हैं कि राज्य विधानसभा चुनाव इस साल नहीं होंगे. वहीं संघ परिवार को भी डर है कि अगल जल्दबाजी में चुनाव होता है तो अन्य क्षेत्रीय पार्टियां सत्ता में वापसी कर सकती हैं.

वहीं सेना की अतिरिक्त तैनाती को कुछ लोग राजनेताओं और सुरक्षा प्रमुखों के हालिया बनाया से जोड़ कर देख रहे हैं.

बीते हफ्ते कठुआ में एक कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर समस्या के समाधान के संदर्भ में कहा, “अगर बात-चीत से नहीं, तो कैसे, हमें अच्छी तरह मालूम है.” आगे उन्होंने कहा, “मैं जो भी कह रहा हूं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं.”

इसके अलावा खबरें हैं कि सरकार विधानसभा चुनाओं से पहले घाटी में सैन्य अभियानों के जरिए सभी आतंकवादियों का सफाया करना चाहती है. वहीं भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे राजनीतिज्ञों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई हो सकती है.

26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के मौके पर आर्मी प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा, “कोई भी स्थानीय आतंकवादी अगर सेना के खिलाफ बंदूक उठाता है तो वो अब आतंकवादी नहीं रहेगा. बंदूक और व्यक्ति को अगल कर दिया जाएगा. वो आदमी मारा जाएगा और बंदूक हम रख लेंगे.”

कुछ समय पहले राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने कहा था कि “जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ी समस्या राजनीतिक दलों का भ्रष्टाचार है. मैं गारंटी देता हूं कि अगले दो-तीन महीने में कुछ बड़ी मछलियों, जो मंत्री भी रह चुके हैं, जमानत लेते हुए नजर आएंगे. और तब मैं आप लोगों को प्रशंसा करने के लिए कहूंगा.”


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