ब्रिटेन: लेबर पार्टी ने कश्मीर पर पारित किया प्रस्ताव, भारत ने रद्द की दावत


britain labour party to drop social mobility as Labour goal

 

ब्रिटेन की लेबर पार्टी के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से कश्मीर पर विवादित आपातकालीन प्रस्ताव को पारित कर दिया है. उन्होंने यह ब्रिंघटन में अपने सालाना पार्टी सम्मेलन के दौरान किया.

इस कदम के बाद प्रतिक्रिया देते हुए भारत के ब्रिटेन में मौजूद प्रतिनिधियों ने लेबर पार्टी के सदस्यों के साथ डिनर करने के कार्यक्रम को रद्द कर दिया.

बुधवार को सालाना पार्टी सम्मेलन में यह प्रस्ताव पेश किया गया था. प्रस्ताव में दावा किया गया था कि विवादित क्षेत्र कश्मीर में बड़े पैमाने पर मानवीय संकट पैदा हुआ है. इस संकट के मद्देनजर मानवीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को कश्मीर जाना चाहिए.

प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के तहत कश्मीर के लोगों को खुद के लिए फैसला लेने का अधिकार मिलना चाहिए. इसके अलावा प्रस्ताव में पार्टी से गुजारिश की गई है कि वह कश्मीरी लोगों के साथ इस कब्जे की लड़ाई में खड़े हों.

एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक ने अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने भारत के लेबर पार्टी के मित्रों के साथ सालाना कार्यक्रम को रद्द कर दिया है. मंगलवार रात को जब प्रस्ताव पर वाद विवाद शुरू हुआ था उसी वक्त तत्काल रूप से इसे रद्द कर दिया गया था.”

इस प्रस्ताव के पारित होने से ब्रिटेन में रह रहे भारतीय प्रवासियों के बीच काफी गुस्सा है. ब्रिटेन में रह रहे बीजेपी के समर्थक (ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी, यूके) के अध्यक्ष कुल्दीप सिंह शेखावत ने कहा है, “इस प्रस्ताव के बाद ब्रिटेन में रह रहे पूरे भारतीय प्रवासी अगले आम चुनाव में लेबर पार्टी को अपना समर्थन नहीं देंगे.”

भारतीय प्रवासियों (पर्सन्स ऑफ इंडियन ऑरिजिन) के बीच में जेरेमी कॉर्बिन के 11 अगस्त को किए ट्वीट के बाद लगातार नराजगी बढ़ी है.

जेरेमी ने अपने ट्वीट में लिखा था,“कश्मीर के हालात बहुत ज्यादा परेशान करने वाले हैं. वहां हो रहे मानवाधिकारों का हनन अस्वीकार्य है.”

इसके बाद 15 अगस्त को इंडिया हाउस के बाहर लेबर पार्टी के कई सांसदों ने अपना समर्थन दिया था और कश्मीर पर अपनी बात रखी थी. बाद में विरोध प्रदर्शन काफी हिंसक हो गई थी.

प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए लेबर पार्टी के भारतीय समुदाय के प्रतिनिधि फोरम के पूर्व अध्यक्ष मनोज लाडवा ने कहा, “लेबर पार्टी को वाम चरमपंथी और जिहादियों से हमदर्दी रखने वाले गठबंधन ने हाईजैक कर लिया है.”

ब्रिटेन के लेटन में रहने वाली पाकिस्तानी मूल की उजमा रसूल ने प्रस्ताव को जमा करते हुए पाक अधिकृत कश्मीर के संबंध में एक भाषण दिया था. उन्होंने कहा, “पिछले 72 सालों से कश्मीर ने मानवाधिकारों का हनन होते देखा है, सामूहिक बलात्कार और सशस्त्र बलों द्वारा बड़े पैमाने पर बलात्कार किया गया है, पेलेट गन से कश्मीरियों को घायल होते देखा है.”

उन्होंने कहा, “हमें भारत से तत्काल रूप से गुजारिश करनी चाहिए कि वह कश्मीर पर लगी पाबंदी को हटाए ताकी मानवीय एजेंसियां वहां जा सकें और लोगों की मदद कर सकें.”

उन्होंने आगे कहा,“यह एक बड़ा संकट है. हम इस तरह की उत्पीड़न के लिए पूरी एक सदी नहीं दे सकते हैं. लंबे समय से हम यह कहते आ रहे हैं कि कश्मीर का मुद्दा एक द्वीपक्षीय मुद्दा है, लेकिन, कश्मीरियों को इसमें दखल देने की जरूरत है.”

प्रस्ताव में लेबर पार्टी के एक प्रतिनिधि से गुजीरिश की गई है कि वे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में जाएं और कश्मीर में मानवाधिकारों का बहाल करने और कर्फ्यू को हटाने की मांग करें.

प्रस्ताव में यह भी मांग की गई है कि जेरेमी भारत और पाकिस्तान के उच्चायुक्तों से मुलाकात करें और एक संभावित परमाणु संघर्ष को बढ़ने से रोकने की पहल करें.

ब्रिटेन में पाकिस्तानी मूल की कश्मीरी और लेबर पार्टी की सांसद नाज शाह ने प्रतिनिधियों से गुजारिश की थी कि वे इस प्रस्ताव को अपना समर्थन दें. उन्होंने कहा, “सात लाख पचास हजार भारतीय सैन्य कर्मियों को पूरे कश्मीर में तैनात कर इसे दुनिया का सबसे ज्यादा सैन्यीकृत क्षेत्र बनाया गया है. पूरे शहर को लोहे के तारों से बांध दिया गया है. राजनैतिक नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है. वहां से भयावह मानवाधिकारों के शोषण की खबरें आ रही हैं. कश्मीर जनसंहार होने के कगार पर है और पूरी दुनिया खामोश है.”

ग्लोबल हिंदू फेडेरेशन के अध्यक्ष सतीश के शर्मा ने कहा,“जेरेमी कॉर्बिन ने यह प्रस्ताव पारित कर के ब्रिटेन में रह रहे भारतीय समुदाय को पूरी तरह से अलग कर दिया है. ऐसा कर के ब्रेग्जिट के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय संबंध के किसी भी तरह के संभावनाओं को खत्म कर दिया है.”


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