अयोध्या मामला: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से वापस मांगी गैर-विवादित जमीन
केंद्र सरकार का यह कदम आरएसएस, विहिप और देश के हिंदूवादी संगठनों में राममंदिर मुद्दे को लेकर बढ़ रही नाराजगी को शांत करने का प्रयास माना जा सकता है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में विवादित जमीन छोड़कर बाकी जमीन को वापस करने और इस पर कायम यथास्थिति को खत्म करने की मांग की है.
मौजूदा स्थिति के अनुसार, 2.67 एकड़ जमीन विवादित है और इसके चारों ओर 67 एकड़ जमीन है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विवादित जमीन सहित इस 67 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बना रखी है. अब केंद्र सरकार ने इस 67 एकड़ जमीन पर से ही कुछ हिस्सा सुप्रीम कोर्ट से मांगा है. सरकार का कहना है कि शेष 67 एकड़ जमीन पर कोई विवाद नहीं है, इसलिए यह जमीन राम जन्मभूमि न्यास को सौंप दी जानी चाहिए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 के फैसले में 2.77 एकड़ जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांट दिया था. उसके इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में 14 याचिकाएं दायर हैं.
अयोध्या मामले पर सुनवाई के लिये इस साल आठ जनवरी को गठित पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति भूषण और न्यायमूर्ति नजीर का नाम नए सिरे से जोड़ा गया है. चूंकि मूल पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति यू यू ललित ने 10 जनवरी को मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था, इसलिए मूल संवैधानिक पीठ का पुर्नगठन किया गया था.
वर्तमान में इस मामले की सुनवाई नई संवैधानिक 5 सदस्यीय पीठ कर रही है.