शैक्षणिक संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थानों का टैग नहीं


decision put off on institute of eminence

 

यूजीसी ने देश के शैक्षणिक संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थानों का टैग देने के फैसले को फिलहाल टाल दिया है. इसकी वजह यूजीसी की एक कमेटी है जिसने “उत्कृष्ट” का टैग देने के लिए ज्यादा संस्थानों के नामों की सिफारिश कर दी थी.
यूजीसी की अध्यक्ष सुषमा यादव के मुताबिक कमेटी ने दोनों (सरकारी और निजी संस्थानों) श्रेणी में 15-15 नामों की सिफारिश की है. यानि 30 संस्थानों के नाम कमेटी की सिफारिश में हैं. जबकि विशेषज्ञ समिति सरकारी योजना के तहत कुल 20 नामों की सिफारिश कर सकती है.
ऐसे में 10 अतिरिक्त नाम जुड़ने से संकट पैदा हो गया है. जिसके बाद यूजीसी ने सरकार से 10 और नामों को लेकर सलाह मांगी है कि क्या योजना का विस्तार किया जा सकता है. यानि 10 नाम जोड़े जा सकते हैं कि नहीं.
दरअसल, ये मामला विश्वविद्यालयों को उत्कृष्ट संस्थानों का सम्मान देने तक सीमित नहीं है. बल्कि 1 हजार करोड़ का अनुदान भी इसके तहत दिया जाता है. लिहाजा, इसके विस्तार को लेकर सरकार से सलाह मांगी गई है.
सरकार की इस योजना के तहत 10 सार्वजनिक संस्थानों को फीस, पाठ्यक्रम अवधि और मॉडल तय करने की आज़ादी दी जाती है. इसके साथ ही उन्हें (सरकारी संस्थानों को) 1 हज़ार करोड़ का अनुदान भी दिया जाता है.
जबकि 10 निजी संस्थानों को कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलती है.
एन. गोपालस्वामी की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने जुलाई 2018 में टैग के लिए 11 संस्थानों की सिफारिश की थी. जिनमें से केंद्र ने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बॉम्बे और आईआईएससी बेंगलूरु समेत 3 सार्वजनिक और बिट्स पिलानी, मणिपाल यूनिवर्सिटी और जियो यूनिवर्सिटी समेत 3 निजी संस्थानों को टैग प्रदान किया.
जिसके बाद समिति ने 19 और संस्थानों के नाम की सिफारिश की. जिससे सूचि में 30 संस्थानों के नाम हो गए. जो तय योजना से 10 ज्यादा हैं.
हालांकि, इस मामले में फैसला लेने के लिेए यूजीसी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का रूख किया है. जो ये तय करेगा की योजना में बदलाव कर 30 संस्थानों को शामिल किया जाएगा या फिर पुरानी 10 संस्थानों वाली सीमा ही बरकरार रहेगी.


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