ईपीएफओ ने सरकार से बकाया 9,100 करोड़ रूपये चुकाने की गुजारिश की


total government liabilities rise to 88.18 lakh crores in first trimester

 

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने वित्त मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर सरकार का बकाया 9,100 करोड़ रूपये चुकाने की गुजारिश की है. यह राशि पेंशन योजना की है.

इस समय ईपीएफओ का पेंशन फंड घाटे में चल रहा है. ईपीएफओ के 2016-17 के बीमांकिक मूल्यांकन (एक्चुएरियल वैल्यूएशन) के डाटा से पता चला है कि यह घाटा पिछले 10 सालों में बढ़कर इतना हुआ है.

इस रकम का कुछ हिस्सा साल 1995-96 से बकाया है. इन्हीं वर्षों में कर्मचारी पेंशन योजना की शुरुआत हुई थी. केंद्र सरकार को न्यूनतम पेंशन योजना के तहत ईपीएफओ का बकाया 1,000 करोड़ रुपये भी चुकाने हैं.

ईपीएफओ निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए तीन योजनाएं चलाता है. इसमें कर्मचारी भविष्य निधि योजना, कर्मचारी पेंशन योजना और कर्मचारी बीमा योजना (डिपोजिट लिंक) शामिल है.

कर्मचारी इन योजनाओं में अपनी कमाई का 12 फीसदी योगदान करते हैं. इसके साथ ही नियोक्ताओं का भी इन योजनाओं में 12 फीसदी का योगदान रहता है.

नियोक्ताओं के 12 फीसदी में से 8.33 फीसदी कर्मचारी पेंशन योजना में जाते हैं. सरकार की ओर से 1.16 फीसदी कर्मचारियों के पेंशन खाता में जाता है.

अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक पेंशन में योगदान का हिस्सा और इस योजना के तहत बकाया राशि मिलाकर 31 मार्च 2019 तक कुल 8,063.66 करोड़ रूपये सरकार को अदा करने होंगे.

2014 में एनडीए के आने बाद सरकार ने घोषणा की थी कि इस योजना के ग्राहकों को सितंबर 2014 से न्यूनतम मासिक पेंशन के तौर पर 1,000 रुपये देगी.

सरकार के इस कदम से लगभग 18 लाख पेंशनधारियों को हर साल फायदा पहुंचा है.

सरकार ने कहा था कि न्यूनतम पेंशन योजना के तहत ग्राहकों को देने के लिए वह हर साल लगभग 800 करोड़ रुपये कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को लौटाएगी.

ईपीएफओ के एक बयान के मुताबिक सरकार की ओर से मदद के तौर पर मिलने वाली राशि और सितंबर 2014 से लेकर 31 मार्च 2019 तक बकाया राशि को मिलाकर कुल 1,051.42 करोड़ रुपये हैं.

भले ही सरकार न्यूनतम पेंशन योजना और कर्मचारी पेंशन योजना के लिए सालों से योगदान करती आ रही हो, लोकिन आंकड़ों से यही पता चल रहा है कि यह योजनाओं की जरूरत को पूरा करने लिए काफी नहीं है.

ईपीएफओ के केंद्रीय भविष्य निधि कमिश्नर सुनील बर्थवाल ने 4 सितंबर को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के बैठक में इस मसले को उठाया था.

बैठक में श्रम एवं रोजगार सचिव हीरालाल समारिया ने ईपीएफओ को सलाह दी थी कि बकाया राशि के संबंध में व्यय सचिव जीसी मुर्मू को पत्र लिखें.

वर्तमान में प्रति महीने 15,000 रुपये वेतन पाने वाले कर्मचारियों को 8.33 फीसदी के हिसाब से कर्मचारियों के पेंशन योजना के खाते में जमा होते हैं.

कर्मचारी पेंशन योजना ईपीएफओ के साथ वाली एक जमा खाता (पूल्ड अकाउंट) है. इसमें सभी लाभार्थियों के लिए लाभ पहले से तयशुदा हैं. इस योजना के तहत जिस भी ग्राहक की उम्र 58 साल हो चुकी हो और कम से कम 10 साल काम कर चुके हैं, इस योजना का लाभ ले सकते हैं.

एक ईपीएफओ के अधिकारी ने कहा, ‘सरकार की ओर से बकाया राशि की वजह से बाकी लाभार्थियों के पेंशन निधि पर कोई असर नहीं पड़ेगा. योजना के तहत सभी लाभ पहले से निर्धारित हैं. यह कर्मचारी के काम करने के सालों पर आधारित नहीं है.’

वे कर्मचारी जिनका वेतन 15,000 रुपये से ज्यादा है और 1 सितंबर 2014 के बाद वे ईपीएफओ के योजना से जुड़े हैं, उनका पेंशन खाता नहीं है.

कर्मचारी पेंशन योजना के तहत 58 वर्ष की उम्र से लेकर मृत्यु होने तक कर्मचारी को पेंशन मिलेगी. कर्मचारी को मिलने वाला पेंशन उसके काम करने के आखिरी 60 महीनों के मूल वेतन और मंहगाई भत्ता के औसत पर आधारित है. ईपीएफओ का पेंशन निधि मिलाकर 13.3 लाख करोड़ रुपये का कोष है. 29 अक्टूबर 2018 के मुताबिक ईपीएफओ के पेंशनधारक 63 लाख हैं, जिसमें से 2017-18 में 40 लाख कर्मचारियों ने सक्रिय रूप से पेंशन खाता में योगदान दिया है.


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