वैश्विक अर्थिक मंदी के चलते भारत में भी मंदी का असर है: IMF
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की नई प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है. उन्होंने मंगलवार को कहा कि देशों के बीच व्यापार विवाद वैश्विक अर्थव्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं. वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर दशक के सबसे निचले स्तर पर आने की आशंका है.
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक के तौर पर अपने पहले संबोधन में जॉर्जिवा ने कहा कि शोध दिखाते हैं कि व्यापार विवादों का प्रभाव व्यापक है और देशों को अर्थव्यवस्था में नकदी डालने के साथ एकरूपता से प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार रहना चाहिए.
जॉर्जिवा ने कहा कि दुनिया की 90 प्रतिशत अर्थव्यवस्था के 2019 में मंदी के चपेट में आने की आशंका है. वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्तमान में एक ही समय में कई कारकों की वजह (सिंक्रोनाइज्ड) से नरमी से गुजर रही है.
उन्होंने कहा कि इस व्यापक घोषणा का अर्थ है कि दुनिया की वृद्धि दर इस दशक की शुरुआत के बाद से अपने सबसे निचले स्तर तक पहुंच जाएगी.
उन्होंने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी में बेरोजगारी दर ऐतिहासिक स्तर पर है. फिर भी अमेरिका, जापान और विशेष रूप से यूरो क्षेत्र सहित उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक गतिविधियों में नरमी है. भारत और ब्राजील जैसी कुछ सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में इस साल अधिक स्पष्ट रूप से मंदी छाई हुई है.”
जॉर्जिवा ने कहा कि आईएमएफ चालू और अगले वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान को घटा रहा है.
हालांकि, इसके आधिकारिक संशोधित आंकड़ें 15 अक्टूबर को जारी की जाएगी.
पहले आईएमएफ ने 2019 में वैश्विक वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत और 2020 में 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
उन्होंने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था के सामने एक और बड़ी चुनौती जलवायु परिवर्तन है. इसके समाधान के लिए उन्होंने कार्बन कर बढ़ाए जाने का आह्वान भी किया.
अगले हफ्ते आईएमएफ-विश्वबैंक की सालाना बैठक शुरू होनी हैं.