जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की, प्रशासन को अलर्ट रहने के निर्देश


peace is a word that is not for Kashmir

 

केंद्र सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोमवार रात सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए निरंतर सतर्कता बरतने और तैयारी की आवश्यकता पर जोर दिया.

राजभवन के प्रवक्ता के अनुसार, सरकार ने शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की और राज्य में मौजूदा सुरक्षा तथा कानून व्यवस्था की समीक्षा की.

उन्होंने बताया कि राज्यपाल के सलाहकारों के विजय कुमार, केके शर्मा, के स्कंदन और फारूक खान तथा मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने बैठक में भाग लिया.

आवश्यक सेवाओं का जायजा लेने के बाद जम्मू से श्रीनगर लौटे कुमार, स्कंदन और खान ने राज्यपाल को बिजली, पानी की आपूर्ति और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं सहित लोगों को विभिन्न सार्वजनिक सेवाओं की आवश्यक आपूर्ति तथा वितरण के बारे में जानकारी दी.

प्रवक्ता ने कहा कि राज्यपाल ने आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और प्रशासन को मौजूदा परिदृश्य में लोगों की वास्तविक जरूरतों पर ध्यान देने की सलाह दी.

सुब्रह्मण्यम ने राज्यपाल को सूचित किया कि कश्मीर घाटी में आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं है और यह स्टॉक तीन महीने तक चलेगा.

कानून-व्यवस्था की स्थिति और सरकारी तंत्र की तैयारियों की समीक्षा करते हुए, राज्यपाल मलिक ने विभिन्न विभागों और एजेंसियों के बीच निरंतर सतर्कता, तत्परता और तालमेल की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि किसी भी स्थिति से समन्वित और प्रभावी तरीके से निपटा जा सके.

राज्यपाल ने जमीनी स्थिति पर लगातार कड़ी नजर बनाए रखने की आवश्यकता दोहराई और लोगों के समग्र हित के लिए समाज में शांति और सद्भाव लाने के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व को रेखांकित किया.

प्रवक्ता ने बताया कि राज्यपाल मलिक ने विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संगठनों के लोगों और नेताओं से अपील की है कि वे राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में सरकारी तंत्र का सहयोग करें.

राज्यसभा ने सोमवार को अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को खत्म कर जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख को दो केन्द्रशासित क्षेत्र बनाने संबंधी सरकार के दो संकल्पों को मंजूरी दे दी. गृह मंत्री अमित शाह ने इस अनुच्छेद के कारण राज्य में विकास नहीं होने और आतंकवाद पनपने का दावा करते हुए आश्वासन दिया कि जम्मू कश्मीर को केन्द्रशासित क्षेत्र बनाने का कदम स्थायी नहीं है तथा स्थिति समान्य होने पर राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा.


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