10 फीसदी आरक्षण : मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब


age of consent should be below 18: Madras high court

 

मद्रास हाई कोर्ट ने सामान्य आर्थिक पिछड़ा वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

डीएमके ने 19 जनवरी को 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देते हुए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. पार्टी ने अपनी याचिका में सामान्य आर्थिक पिछड़ा वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के आधार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह प्रावधान संविधान के ‘‘मूल ढांचे का उल्लंघन’’ करता है.

हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से 18 फरवरी तक जवाब मांगा है.

पार्टी ने केंद्र सरकार की योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरक्षण कोई “गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है, यह एक सामाजिक न्यान की प्रक्रिया है. जिसके तहत पिछड़े समुदाय के लोगों को शिक्षा, रोजगार और प्रतिनिधित्व के अवसर दिए जाते हैं”.

डीएमके इस विधेयक को चुनौती देने वाली पहली पार्टी है.

डीएमके सचिव आरएस भारती की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 15(5) में समुदाय के पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण दिया गया है. याचिका के अनुसार “संविधान निर्माताओं ने इस अनुच्छेद को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए नहीं बनाया था. पिछड़े वर्गों के लोगों में ‘‘क्रीमी लेयर’’ को बाहर रखने के लिए आर्थिक योग्यता का इस्तेमाल एक फिल्टर के रूप में किया गया है”.

याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि इसका निपटारा होने तक संविधान (103 वां) संशोधन अधिनियम, 2019 के तहत दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने पर अंतरिम रोक लगाई जाए.


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