ममता बनर्जी ने येचुरी को जन्मदिन पर बधाई दी


sitaram yechury criticises central government for decreasing corporate tax

 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी को उनके 68वें जन्मदिन की बधाइयां दीं. जहां तृणमूल नेता और समर्थक इसे एक राजनीतिक पहल के तौर पर देख रहे हैं, वहीं ममता के करीबी नेता इन अटकलों से इनकार कर रहे हैं.

ममता ने ट्वीट किया, “आपके जन्मदिन पर बधाइयां, सीताराम येचुरी जी.”

हालांकि अब तक येचुरी की ओर से बधाई संदेश पर प्रतिक्रिया नहीं आई है.

अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ लिखता है कि तृणमूल पार्टी के राजनेताओं का मानना है कि ममता बीजेपी विरोधी पार्टियों के साथ अच्छे संबंध कायम करना चाहती हैं.

सीपीएम का विरोध करने वाली ममता, निजी तौर पर भी येचुरी को पसंद नहीं करती आई हैं. ममता के संदेश को उनके समर्थक और पार्टी नेता सीपीएम और बीजेपी विरोधी तकातों की ओर दोस्ती की पहल के तौर पर देख रहे हैं.

येचुरी ने बंगाल में सीपीएम-कांग्रेस संबंध सुधारने में अहम भूमिका निभाई है.

वहीं ममता के करीबी नेताओं ने तमाम अटकलों को टालते हुए कहा कि ममता का बधाई संदेश केवल एक शिष्टाचार है और इसमें किसी तरह का कोई राजनीतिक संदेश नहीं है.

पर विभिन्न तृणमूल नेता इन बातों से सहमत नहीं है. एक नेता ने बताया कि “ममता एक बार ज्योति बसु के घर इंदिरा भवन उन्हें जन्मदिन की बधाई देने गई थीं. पर इसके अलावा मुझे याद नहीं कि उन्होंने कभी किसी सीपीएम नेता को जन्मदिन की बधाई दी हो.”

सूत्रों के मुताबिक बंगाल में 18 लोकसभा सीटों पर बीजेपी की जीत के बाद ममता ने सीपीएम को लेकर अपने रुख में बदलाव किया है.

बीते विधानसभा सत्र में तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने सीपीएम और कांग्रेस के नेताओं के साथ कई बैठकें की. जहां उन्होंने नेताओं से बीजेपी के खिलाफ सड़कों पर उतरने की मांग की. ममता ने पार्थ चटर्जी समेत कुछ नेताओं को नियमित तौर पर कांग्रेस और सीपीएम के संपर्क में रहने के निर्देश भी दिए.

विधानसभा में मुख्यमंत्री कार्यालय में जाधवपुर के विधायक और सीपीएम नेता सुजान चक्रवर्ती के साथ मुलाकात में उन्होंने पार्टी की अलग-अलग शिकायतों को भी दूर करने की कोशिश की थी.

ममता ने शहरी विकास मंत्री फिरहाद हाकिम से भी ये सुनिश्चित करने को कहा कि सीपीएम को राजारहाट में ज्योति बसु का संग्रहालय बनाने के लिए जमीन दी जाए. बीते कुछ सालों से विवाद के चलते जमीन के हस्तांतरण का काम लटका हुआ था.

एक नेता ने कहा कि “मुख्यमंत्री के संदेश में साफ-साफ इशारा है. वो तीसरे मोर्च की सरकार या सीपीएम-कांग्रेस गठबंधन को मजबूत करना चाहती हैं. ताकि 2021 विधानसभा चुनावों में सभी एंटी तृणमूल वोट बीजेपी के खाते में ना जाएं और इसलिए अब वो येचुरी की ओर हाथ बढ़ा रही हैं.”


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