अब जस्टिस एन वी रमन्ना हुए सुनवाई से अलग


supreme court rejects all review petition in ayodhya verdict

 

सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव के नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से जस्टिस एन वी रमन्ना ने खुद को अलग कर लिया है. अब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई नई बेंच का गठन करेंगे.

पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने यह कहते हुए इस केस से खुद को अलग कर लिया था कि वे सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली उच्चस्तरीय समिति के सदस्य है, ऐसे में उन्हें इस पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए. इसके बाद जस्टिस ए के सीकरी ने भी अपने आप को खुद को अलग कर लिया था.

यह याचिका गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज और आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज की ओर से दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने का सरकार का पिछले साल 23 अक्टूबर का आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.

उसके बावजूद सरकार ने मनमाने, गैरकानूनी और दुर्भावनापूर्ण तरीके से पुनः 10 जनवरी को नियुक्त कर दिया. याचिका में सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने की मांग की गई है. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति ने 10 जनवरी को आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पड़ से हटा दिया था.

वर्मा 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उनको सीबीआई निदेशक पड़ से हटाकर सिविल डिफेंस, फायर सर्विसेज और होम गार्ड विभाग का महानिदेशक बना दिया गया था.

हालांकि वर्मा ने पद ग्रहण करने से इंकार कर दिया और नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा था. वर्मा को पद से हटाने वाली समिति में प्रधानमंत्री के अलावा लोकसभा में कांग्रेस ने नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में जस्टिस ए के सीकरी शामिल थे.


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