फॉक्सवैगन पर 100 करोड़ का जुर्माना या जेल
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) ने कार निर्माता कंपनी फॉक्सवैगन को शुक्रवार शाम पांच बजे तक 100 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया है. कंपनी की ओर से आदेश का पालन नहीं करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. इसमें एमडी समेत भारत में फॉक्सवैगन की संपत्ति जब्त करना शामिल है.
एनजीटी की ओर से गठित चार सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल ने फॉक्सवैगन पर 171.34 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का सुझाव दिया है. कंपनी की ओर से बेची गई कार की वजह से लोगों को हुए स्वास्थ्य के नुकसान के आधार पर यह आर्थिक दंड लगाया गया है.
नवंबर 2018 में ‘डीजलगेट’ स्कैंडल के सामने आने के बाद एनजीटी पैनल का गठन किया गया था. साल 2015 में ‘ग्लोबल इमीशन स्कैंडल’ यानी डीजलगेट स्कैंडल का पता चला था. जर्मनी की फॉक्सवैगन कंपनी की ओर से डीजल इंजन में प्रदूषण कम दिखाने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रोग्रामिंग की गई थी. ऐसा अमेरिकी मानक को पूरा करने के लिए किया गया था. जबकि सड़कों पर गाड़ी से तय मानक से 40 गुना अधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड(एनओ) का विसर्जन हुआ.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि साल 2016 में फॉक्सवैगन की ओर बनाई गई कार की वजह से 48.678 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ है. इस प्रदूषण की वजह से कुल 171.34 करोड़ रुपये का स्वास्थ्य नुकसान हुआ. इनमें इलाज और उससे संबंधित खर्च, बीमारी और विकलांगता की वजह से हुई हानि(डीएएलवाई) शामिल है. डब्लूएचओ डाटाबेस के आधार पर यह गणना की गई है. इसके लिए राजधानी दिल्ली को आधार शहर बनाया गया था.
पैनल की ओर से कहा गया है, “लंबे समय तक नाइट्रोजन ऑक्साइड के संपर्क में रहने की वजह से अस्थमा और सांस संबंधी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है. ”
धुंध और वर्षा जल के साथ मिलकर नाइट्रोजन ऑक्साइड से अम्ल वर्षा होती है. इसकी वजह से वायुमंडल में फाइन पार्टिकल (पीएम) की संख्या बढ़ती है और ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है. ये सभी स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते हैं.
भारत में प्रदूषण कम दिखाने वाली प्रोग्रामिंग के साथ 3.27 लाख फॉक्सवैगन कारें बेची गई हैं. इनमें कंपनी 2.53 लाख कारें वापस ले चुकी हैं. डीजलगेट स्कैंडल सामाने आने के बाद एनजीटी के चेयरपर्सन आदर्श कुमार गोयल ने 16 नवंबर 2018 को एक महीने के भीतर कंपनी को 100 करोड़ रुपये जमा करवाने का आदेश दिया था. अपने आदेश में चेयरपर्सन ने पर्यावरण और स्वास्थ्य को हुए नुकसान तय करने के लिए पैनल गठित करने का आदेश दिया था. हालांकि आर्थिक दंड स्वास्थ्य को हुए नुकसान के आधार तय किया गया है.
फॉक्सवैगन के प्रवक्ता ने कहा गया है कि एनजीटी पैनल ने पाया है कि ‘वॉक्सवैगन समूह इंडिया’ की ओर से बीएस-4 नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है. मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
अमेरिका और कनाडा की अदालतों में भी फॉक्सवैगन पर सुनवाई चल रही है.