चंदा कोचर केस: एफआईआर दर्ज करने वाले अधिकारी का तबादला
चंदा कोचर मामले में एफआईआर दर्ज करने वाले एसपी सुधांशु धर मिश्रा का तबादला कर दिया गया है. 24 जनवरी को आईसीआईसीआई बैंक- वीडियोकॉन कर्ज मामले में अनियमितताओं के चलते दर्ज एफआईआर पर हस्ताक्षर करने वाले और मामले की जांच में शामिल सुधांशु को अगले ही दिन तबादला सौंप दिया गया.
दिल्ली में सीबीआई की साखा, बैंकिंग सिक्योरिटी एंड फ्रॉड सेल (बीएसएफसी) में कार्यरत सुधांशु ने 3,250 करोड़ रुपये के आईसीआईसीआई बैंक- वीडियोकॉन कर्ज मामले में अनियमितताओं के आरोप के बाद पूर्व आईसीआईसीआई प्रमुख चंदा कोचर पर एफआईआर दर्ज की थी.
एफआईआर में चंदा कोचर के अलावा उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन प्रमोटर वेणुगोपाल के नाम भी शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उनका तबादला रांची में सीबाआई की आर्थिक अपराध साखा में किया गया है.
इस मामले में दो दिन पहले वित्त मंत्री अरूण जेटली ने सीबीआई को निशाने पर लिया था. उन्होंने सीबीआई को दुस्साहस से बचने और सिर्फ दोषियों पर ध्यान देने की नसीहत दी थी.
जेटली ने यह टिप्पणी ऐसे वक्त की है, जब एक ही दिन पहले सीबीआई ने चंदा कोचर के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में बैंकिंग क्षेत्र के प्रमुख व्यक्ति और बाकी लोगों को पूछताछ के लिए नामजद किया है. इस मामले में पूछताछ के लिए नामजद किए गए लोगों में एक प्रमुख जानकार का नाम सार्वजनिक होने के बाद जेटली की ये प्रतिक्रिया आई.
इस बयान के बाद विपक्षी पार्टियों ने जेटली पर जांच एजेंसी को डराने-धमकाने के आरोप लगाए. कांग्रेस ने कहा, “जेटली अपने इस बयान से सीबीआई को जांच प्रक्रिया धीरे करने की ओर इशारा कर रहे हैं”.
कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने कहा, “जेटली का बयान असामान्य है. ये सीबीआई को इशारा है कि वो मामले में जांच को धीरे कर दे”.
वहीं कुछ पूर्व सीबीआई अधिकारियों ने जेटली के बयान को सही ठहराया है. उनके मुताबिक जेटली द्वारा की गई सीबीआई की आलोचना बिलकुल भी गलत नहीं है.
एक पूर्व सीबीआई अधिकारी ने मामले में कुछ प्रमुख बैंक अधिकारियों के नाम सामने लाने को गैर जरूरी बताया. उन्होंने कहा, “सीबीआई केवल उन्हीं लोगों के नाम सार्वजनिक करती आई है, जिनके खिलाफ सभी जरूरी सबूत होते हैं. पर जिन लोगों से शक के आधार पर पूछताछ की जाती है उन्हें अन्य के दायरे में रखा जाता है”.
सीबीआई के पूर्व प्रमुख निदेशक एनआर वासान ने कहा, “इस एफआईआर में काफी कमियां हैं. जांच एजेंसी कभी भी कोई ऐसी पूछताछ नहीं करती जो मामले को भटकाए. उन्हें अपराध की जांच पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो जांच कभी खत्म नहीं होगी”.
हालांकि एक पूर्व अधिकारी ने सीबीआई पर सरकार के हमले पर हैरानी जताई है. उन्होंने कहा कि यह कैसे संभव है कि देश की प्रमुख जांच एजेंसी एक मामले में एक प्रमुख व्यक्ति को पूछताछ के लिए नामजद करती है और सरकार को इसके बारे में पता भी नहीं चलता.
ऐसा आरोप है कि 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से वीडियोकॉन समूह को 3250 करोड़ रुपये का कर्ज मिला था. वीडियोकॉन ने इस कर्ज का 86 फीसदी(2810) रुपया जमा नहीं किया. जिसके बाद 2017 में वीडियोकॉन के अकाउंट को बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया था.
वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से कर्ज मिलने के वक्त चंदा कोचर बैंक की चेयरमैन थीं.