यूएन में भारत का जवाब: परमाणु हमले की धमकी इमरान की अस्थिरता दर्शाती है


Pak PM threat of nuclear devastation is not statesmanship said India at unga

  ANI

संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री इमरान खान के संबोधन पर करारा जवाब देते हुए भारत ने कहा कि “भारतीयों को अपनी बात रखने के लिए किसी और की जरूरत नहीं है और उनसे तो बिल्कुल भी नहीं जो नफरत की विचारधारा से आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं.”

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कल संबोधन दिया था. सभागार के मंच से करीब 50 मिनट तक दिए संबोधन में खान ने आधा समय परमाणु युद्ध, कश्मीर और भारत को दिया.

भारत ने इमरान खान के संबोधन के जवाब में अपने “राइट टू रिप्लाई” का इस्तेमाल किया. पाक के प्रधानमंत्री ने कश्मीर मुद्दे की राग छेड़ते हुए मांग की थी कि भारत को कश्मीर में ‘अमानवीय कर्फ्यू’ हटाना चाहिए और सभी बंदियों को रिहा करना चाहिए.

यूएन में भारत की प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने इमरान खान के संबोधन का जवाब दिया. उन्होंने पाकिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र के मंच का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा, “कूटनीति में शब्द मायने रखते हैं. बरबादी, हत्याकांड, जातीय श्रेष्ठता, बंदूक उठाओ और लड़ाई जैसे शब्दों का इस्तेमाल मध्यकालीन मानसिकता को दिखाता है और ये 21वीं सदी के विचार नहीं हैं.”

विदिशा ने अपने जवाब में कहा, “एक इंसान जो कभी जेंटलमैन्स गेम क्रिकेट खेलता था, उन्होंने दुनिया के सामने नफरत भरा भाषण दिया. दुनिया में पाकिस्तान अकेला देश है, जो आतंकियों को पनाह देता है. क्या पाकिस्तान इस बात को मानता है कि वह 130 आतंकियों का पनाहगाह है. इनमें से 25 यूएन द्वारा घोषित आतंकी हैं. क्या पाकिस्तान बता सकता है कि क्यों वह अलकायदा और अन्य आतंकियों के लिए पेंशन देता है. क्या प्रधानमंत्री खान यह मानेंगे कि पाकिस्तान ओसामा बिन लादेन का बचाव करने वाला देश था.”

उन्होंने इमरान को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि “परमाणु हमले की धमकी इमरान खान की अस्थिरता दर्शाती है ना कि उनके राजनेता होने को.”

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने यूएन ऑब्जर्वरों को पाकिस्तान आने को कहा है ताकि यह जांच की जा सके कि वहां कोई आतंकी संगठन सक्रिय नहीं है? क्या दुनिया उन्हें इस वादे को याद दिलाएगी. हमने इमरान खान से जो कुछ भी सुना वह दुनिया के प्रति उनका एकतरफा नजरिया था. इसमें मैं बनाम बाकी सब, अमीर बनाम गरीब, उत्तर बनाम दक्षिण, विकसित देश बनाम विकासशील देश और मुस्लिम धर्म बनाम अन्य धर्म की बातें थीं.”

विदिशा ने कहा, “क्या पाकिस्तान इस बात से इनकार कर सकता है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने उसे नोटिस दिया है कि 27 मापदंडों में से 20 का उल्लंघन उसके द्वारा किया गया है? यह वो देश है जहां अल्पसंख्यक समुदाय का आकार लगातार कम हुआ है. 1947 में जिनकी संख्या 23 फीसदी थी आज वो सिमटकर केवल 3 फीसदी रह गई है. इनमें क्रिश्चियन, सिख, हिंदू, शिया, सिंधी समेत कई समुदाय शामिल हैं.”


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