झूठे आश्वासनों में विश्वास नहीं: नितिन गडकरी
लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है और देश में राजनीतिक गहमागहमी और भी तेज हो गई है.
हालांकि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपनी ‘स्वायत्त’ छवि बनाने की कोशिशों में कोई ढिलाई बरतना नहीं चाहते. बीते रविवार को उन्होंने कहा कि वह झूठे आश्वासन नहीं देते और ईमानदारी एवं पारदर्शिता जैसे मूल्य लंबी दौड़ में काम आते हैं. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति सामाजिक-आर्थिक सुधारों का जरिया है.
उन्होंने यह बात अपने संसदीय क्षेत्र नागपुर में एक कार्यकम के में बोलते हुए कही. उन्होंने कहा कि राजनीति एक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र है, जहां लोगों की आकांक्षाओं के मुताबिक काम करना पड़ता है.
राजनीति में करियर बनाने के लिए जरूरी गुणों के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा, ‘‘मैंने राजनीति को कभी अपने करियर के तौर पर नहीं चुना. मेरे शुरुआती दिनों से ही मैं राजनीति को सामाजिक एवं आर्थिक सुधार का जरिया मानता रहा हूं, जिसके जरिए मैं देश, समाज एवं गरीबों के लिए कुछ कर सकता हूं. राजनीति में किसी गुण की जरुरत नहीं है.’’
उन्होंने कहा कि राजनीति ईमानदारी से की जानी चाहिए.
गडकरी ने कहा, ‘‘मैं झूठे आश्वासन नहीं देता और जब मैं कहता हूं कि मैं करूंगा तो मैं करता हूं और अगर नहीं कर सकता तो साफ कह देता हूं कि नहीं कर सकता. ईमानदारी, पारदर्शिता, धैर्य, गुण और काम को लेकर प्रतिबद्धता जैसे मूल्य लंबी दौड़ में काम आते हैं.’’
गडकरी लगभग यही बातें बीते महीनों में कई मंचों से दोहरा चुके हैं. जानकारों का मानना है कि वे लोकसभा चुनाव के संभावित नतीजों के मद्देनजर अपने आपको बीजेपी में एक वैकल्पिक चेहरे के तौर पर पेश कर रहे हैं. यह भी चर्चाएं आम हैं कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से समर्थन प्राप्त है.
हालांकि हाल में एक समाचार एजेंसी को दिए गए साक्षात्कार में नितिन गडकरी ने कहा था कि वे प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं है और न ही आरएसएस उनको किसी वैकल्पिक चेहरे के तौर पर पेश कर रहा है.