गरीब सामान्य वर्ग को आरक्षण देने संबंधी बिल लोकसभा में पारित


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गरीब सामान्य वर्ग को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने वाला संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है.

इससे पहले केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने संविधान विधेयक, 2019 पेश किया. इस पर लोकसभा में लगभग पांच घंटे तक बहस हुई. इसके बाद हुए मतदान में इसके समर्थन में 323 और विरोध में तीन मत पड़े. यह संविधान का 124 वां संशोधन है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सात जनवरी को विधेयक को मंजूरी दी थी.

विधेयक पेश किए जाने के दौरान समाजवादी पार्टी के कुछ सदस्य अपनी बात रखना चाह रहे थे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसकी अनुमति नहीं दी .

आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा, जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है .

नए प्रस्ताव के मुताबिक आठ लाख सालाना से कम आय वाले आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे. इसके साथ 1,000 वर्ग फीट से छोटे मकान और पांच एकड़ से कम जमीन होने जैसी शर्तें भी रखी जा सकती हैं.

प्रस्तावित आरक्षण सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दिया जाएगा. यह पहले से चले आ रहे करीबन 50 फ़ीसदी आरक्षण से अलग होगा. इस तरह आरक्षण की मौजूदा सीमा 49.5 फीसदी से बढ़ कर 59.5 फीसदी हो जाएगी.

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक किसी भी नौकरी या शैक्षणिक संस्थानों में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है.

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