चुनाव सुधार को लेकर साथ आईं 14 विपक्षी पार्टियां, राज्यसभा में होगी बहस


rajya sabha to debate electoral reform on july 3

 

आगामी तीन जुलाई को राज्यसभा में चुनाव सुधार को लेकर बहस होगी. इसको लेकर 14 विपक्षी पार्टियों की ओर से नोटिस जारी किया गया है. इस सत्र में विपक्षी दलों की ओर से यह ऐसा पहला प्रयास है, जहां सभी मुख्य विपक्षी पार्टियां किसी मुद्दे को लेकर एकमत हुई हैं.

ये नोटिस कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, एसपी, बीएसपी, आप, सीपीआई, सीपीएम, डीएमके, केरल कांग्रेस(एम), आईयूएमएल और एनसीपी की ओर से जारी की गई है. बीजेपी सांसद एमके सिन्हा ने भी नोटिस दिया है.

चुनाव सुधार के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के अलग-अलग एजेंडे हैं. सत्ताधारी दल जहां ‘एक देश एक चुनाव’ पर बल दे रहा है, वहीं विपक्ष ईवीएम की विसंगतियों पर बहस करना चाहता है.

बीते बुधवार को मुख्य विपक्षी दलों ने राज्य सभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद की अध्यक्षता में बैठक की थी. दि हिन्दू सूत्रों के हवाले से लिखता है कि ईवीएम के मुद्दे को बीएसपी सांसद सतीश चंद्र मिश्रा उठाएंगे. इस दौरान बैलेट पेपर से चुनाव कराने की बात पर जोर दिया जाएगा.

बीएसपी सुप्रीमों मायावती अपने भाषणों में अकसर ईवीएम की आलोचना करती रही हैं. वे बीते लोकसभा चुनावों में भी ईवीएम के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लगा चुकी हैं.

इससे पहले भी विपक्षी दल ईवीएम के मुद्दे पर अपने विचार रखते रहे हैं. बीते लोकसभा चुनावों में विपक्षी दलों ने 50 फीसदी वीवीपैट मिलान की बात कही थी, जिसे पहले चुनाव आयोग बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

इसके अलावा विपक्ष का कहना था कि वोट गिनने से पहले ही वीवीपैट मशीनों का ईवीएम से मिलान कर लिया जाए. चुनाव आयोग ने ये प्रस्ताव भी अस्वीकार कर दिया था.

ईवीएम के अतिरिक्त जिन मुद्दों पर बहस हो सकती है उनमें चुनाव खर्च का राज्य द्वारा वहन करने का मुद्दा प्रमुख है. इस बारे में गठित इंद्रजीत गुप्ता समिति ने 1998 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी. इसके अलावा चुनावों में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर भी बहस होने की संभावना है.

पिछली लोकसभा में विपक्षी दल आमतौर पर सुबह 10 बजे बैठक करते थे. जहां इस बात पर चर्चा होती थी कि सरकार को किन मुद्दों पर और कैसे घेरा जाएगा.

इस बार चुनाव के बाद विपक्ष अभी तक एकजुट नहीं हो पाया है. इसका एक कारण कांग्रेस की अंदरूनी उधेड़बुन भी है. कांग्रेस इस समय नेतृत्व की समस्या से जूझ रही है.


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