मुद्रा लोन के बढ़ते एनपीए पर आरबीआई की चेतावनी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुद्रा योजना के तहत लगातार बढ़ रहे एनपीए से सरकार को आगाह किया है. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) छोटे कारोबारियों को आर्थिक मदद देने के लिए शुरू की गई सरकार की प्रमुख योजना है.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आरबीआई ने मंत्रालय से कहा है कि मुद्रा योजना देश में एनपीए बढ़ाने वाला अगली बढ़ी वजह हो सकती है, जिसने बैंकिंग सिस्टम को पूरी तरह हिला दिया है.
रिजर्व बैंक के मुताबिक मुद्रा योजना के तहत ‘बेड लोन्स’ 11,000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुके हैं. 2017-18 पीएमएमवाई की सालाना रिपोर्ट में अनुसार इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2018 में दो लाख 46 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए.
योजना के तहत दिए गए लोन में से 40 फीसदी अदायगी महिलाओं उद्यमियों को की गई. जबकि 33 फीसदी अदायगी समाजिक वर्गों को की गई. वित्त वर्ष 2017-18 में 4 करोड़ 81 लाख से ज्यादा छोटे कारोबारियों ने इस योजना का लाभ उठाया.
सरकार ने 8 अप्रैल, 2015 को मुद्रा योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत बैंक लघु और छोटे उद्योगों को 10 लाख तक के लोन मुहैया करवाते हैं. लोन को तीन कैटगरी में बांटा गया है. ‘शिशु’ के तहत 50 हजार तक के लोन दिए जाते हैं. ‘किशोर’ के तहत 50 हजार से पांच लाख तक के लोन दिए जाते हैं. वहीं ‘तरुण’ के तहत पांच लाख से 10 लाख के लोन दिए जाते हैं.
आरबीआई की चेतावनी ऐसे समय में आई है जब देश की वित्तीय व्यवस्था इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेस (आईएलएफएस) संकट के चलते लड़खड़ाई हुई है. मुंबई स्थित आईएलएफएस लिमिटेड बुनियादी ढांचा विकास और वित्तीय सेवा देने वाली कंपनी है. आईएलएफएस के संकट का सीधा प्रभाव सरकारी बैकों की सेहत पर पड़ रहा है.
बता दें कि आईएलएफएस ग्रुप पर 91 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है और इसके चलते उसे वर्तमान में नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है. 91 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में आईएलएफएस खाते में सिर्फ 35 हजार करोड़ रुपए ही हैं, जबकि इसकी अन्य वित्तीय सेवा कंपनी पर 17 हजार करोड़ रुपए बकाया है. गौरतलब है कि कंपनी पर 57 हजार करोड़ रुपए बैंकों का बकाया है और इसमें अधिकांश हिस्सेदारी सरकारी बैंकों की है.