आरबीआई डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने दिया इस्तीफा


आरबीआई डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य

 

रिजर्व बैंक के  डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही पद छोड़ दिया है.

आचार्य जनवरी 2017 में आरबीआई से जुड़े थे और वो उदारीकरण के बाद सबसे कम उम्र में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर बनने वाले पहले व्यक्ति थे. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक आचार्य ने अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय लौटने का फैसला किया है.

बीते सात महीनों में यह दूसरी बार है जब आरबीआई के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने अपने पद से इस्तीफा दिया है. इससे पहले आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने दिसंबर में निजी कारण बताते हुए अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया था.

आचार्य पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के काफी करीब माने जाते थे. पटेल के इस्तीफे के समय माना जा रहा था कि आचार्य भी इस्तीफा दे सकते हैं क्योंकि बीते साल उन्होंने कई सार्वजनिक और बोर्ड बैठकों में खुलकर सरकार के प्रति विरोध जाहिर किया था. लेकिन पटेल के जाने के बाद भी आचार्य पद पर बने रहे जिसके बाद माना जा रहा था कि सरकार के साथ जारी उनके मतभेद सुलझ गए हैं.

विरल आचार्य की क्रिडिट रिस्क के क्षेत्र में विशेषज्ञता है. हाल ही में रिजर्व बैंक के गवर्नर शशिकांत दास और आचार्य के बीच चार अप्रैल को घोषित हुई मौद्रिक नीति को लेकर मतभेद की खबरें सामने आई थीं. नीति की घोषणा के बाद जारी हुए मीटिंग के ब्यौरे से पता चलता है कि दास ने रेपो रेट में कटौती का समर्थन करते हुए आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देने की बात कही थी. वहीं आचार्य ने खाने और तेल को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में बढ़ी मंहगाई को देखते हुए रेपो रेट में कटौती के प्रति आगाह किया था. छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने उस समय 4-2 के बहुमत से निर्णय करते हुए रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की थी.

गवर्नर और डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है. डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति में गवर्नर की ओर से दिए गए सुझावों को अहमियत दी जाती है. आरबीआई के चार डिप्टी गवर्नर में से दो आरबीआई में से ही चुने जाते हैं, जबकि एक डिप्टी गवर्नर कमर्शियल बैंकिंग क्षेत्र से चुना जाता है और एक अर्थशास्त्री डिप्टी गवर्नर के रूप में चुना जाता है.

चुनाव और नई सरकार के गठन की प्रक्रिया को देखते हुए माना जा रहा है कि सरकार डिप्टी गवर्नर के रूप में एनएस विश्वनाथन का कार्यकाल बढ़ा सकती है. विश्वनाथन का कार्यकाल अगले महीने खत्म होने वाला है. विश्वनाथन के अतिरिक्त बीपी कानूनगो और मुकेश कुमार जैन आरबीआई के डिप्टी गवर्नर हैं.

आचार्य ने आईआईटी मुंबई से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी. इसके अलावा उन्होंने न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से अपने डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की है. 2017 में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर बनने से पहले वो न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में ही प्रोफेसर के पद पर थे.

बीते साल विरल आचार्य ने एक समारोह के दौरान केंद्र के साथ अपने मतभेदों को खुलकर जाहिर किया था. उन्होंने 26 अक्टूबर, 2018 में एडी श्रॉफ मेमोरियल लेक्चर के दौरान ये कहते हुए केंद्र पर हमला किया था “जो केंद्र सरकार सेंट्रल बैंकों की आजादी का सम्मान नहीं करती, उसे आज या कल वित्तीय बाजारों की नाराजगी का शिकार होना पड़ता है.”

इस भाषण के बाद से ही आरबीआई और केंद्र के बीच रिश्तों में तनातनी की खबरें सामने आने लगी थीं.


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