पूर्व सैन्य अधिकारियों और नौकरशाहों ने कश्मीर पर फैसले को SC में चुनौती दी


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों और नौकरशाहों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को हटाने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती दी है.

पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने का फैसला किया था. इससे एक दिन पहले चार अगस्त को सरकार ने विरोध प्रदर्शनों पर नियंत्रण रखने के लिए जम्मू -कश्मीर के विभिन्न इलाकों में इंटरनेट, टेलीफोन और टीवी सेवाएं रद्द कर दी गई थीं. साथ ही इन क्षेत्रों में धारा 144 भी लगाई गई थी.

याचिकाकर्ताओं में, 2010-11 में गृह मंत्रालय की तरफ से कश्मीर पर नियुक्त वार्ताकार राधा कुमार, जम्मू-कश्मीर कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी हिंडल हैदर तैयबजी और सेवानिवृत्त एयर वाइस मार्शल कपिल काक शामिल हैं.

इसके साथ ही सेवानिवृत्त मेजर जनरल अशोक कुमार, पंजाब कैडर के पूर्व आईएएस अमिताभ पाण्डे, केरल कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी गोपाल पिलई (2011 में केंद्रीय गृह सचिव के पद से सेवानिवृत्त) भी याचिकाकर्ताओं के समूह का हिस्सा हैं.

सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों और नौकरशाहों की ओर से कोर्ट में याचिका वकील अर्जुन कृष्ण, कौस्तुभ सिंह और राजलक्ष्मी सिंह ने दाखिल की है.

याचिका में राष्ट्रपित के आदेश को और जम्मू-कश्मीर (पुनर्गठन) अधिनियम 2019 को निष्प्रभावी करने की अपील की गई है.

राज्य से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने वाले फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ये सातवीं याचिका है. इससे पहले कोर्ट में छह अन्य याचिकाएं दाखिल की गई जो फिलहाल कोर्ट में लंबित है.


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