आईएनएक्स मीडिया मामले में 19 सितंबर तक तिहाड़ जेल भेजे गए चिदंबरम


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दिल्ली की एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ ने चिदंबरम को 19 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

अदालत ने पूर्व वित्त मंत्री को उनकी दवाइयां अपने साथ जेल में ले जाने की अनुमति दी और निर्देश दिया कि उन्हें तिहाड़ जेल के अलग प्रकोष्ठ में रखा जाए क्योंकि उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वस्त किया कि चिदंबरम के लिए जेल में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी.

अदालत ने चिदंबरम की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय को भी नोटिस जारी किया. इस याचिका में एजेंसी की ओर से दर्ज किये गए धन शोधन के मामले में कांग्रेस नेता ने आत्मसमर्पण करने की मांग की थी.

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने, दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले को चुनौती देने वाली चिदंबरम की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्हें अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया गया था.

सीबीआई की दो दिन की हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद पांच सितंबर को चिदंबरम (73) को दिल्ली की अदालत में पेश किया गया था.

कांग्रेस नेता की 15 दिन की सीबीआई हिरासत की अवधि पांच सितंबर को समाप्त हो रही है. विशेष अदालत ने उन्हें पांच चरणों में 15 दिनों के लिए सीबीआई हिरासत में भेजा था.

चिदंरबम के अधिवक्ता ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने की सीबीआई की दलीलों का विरोध किया और कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता घोटाले के कारण पैदा हुए धन शोधन मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में जाने के लिए तैयार हैं, जिसमें शीर्ष अदालत ने गुरुवार को उन्हें अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है.

चिदंबरम को विशेष अदालत में पेश किया गया. इससे कुछ ही घंटे पहले कांग्रेस नेता ने उनके खिलाफ जारी गैर जमानती वॉरंट को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली थी. गैर जमानती वॉरंट जारी किए जाने के बाद चिदंबरम को सीबीआई की हिरासत में भेजा गया था. पूर्व वित्त मंत्री को विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ की अदालत में पेश किया गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि कांग्रेस नेता पांच सितंबर तक सीबीआई की हिरासत में रहेंगे .

प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज धन शोधन के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के 20 अगस्त के फैसले के खिलाफ चिदंबरम की अपील पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई की और हाई कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत नामंजूर किये जाने के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया .

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ ही घंटे बाद एक अन्य विशेष अदालत ने एयरसेल मैक्सिस मामले में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को अग्रिम जमानत दे दी.

आईएनएक्स मामले में सीबीआई का प्रतिनिधित्व सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने किया जबकि चिदंरबम की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने की.

वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में अनियमितता का आरोप लगाते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 15 मई, 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी.

इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय ने इस संबंध में 2017 में ही धन शोधन का मामला दर्ज किया था .

संप्रग के दस साल शासन के दौरान चिदंबरम 2004 से 2014 तक देश के गृह मंत्री तथा वित्त मंत्री रहे थे. दिल्ली के जोर बाग इलाके में स्थित उनके आवास से सीबीआई ने उन्हें 21 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया था .

सीबीआई ने अदालत से कहा कि चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है क्योंकि वह एक ताकतवर नेता हैं इसलिए उन्हें आजाद नहीं छोड़ा जा सकता.

सिब्बल ने सीबीआई की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि चिदंबरम ने जांच को प्रभावित करने अथवा इसमें कोई बाधा उत्पन्न करने का प्रयास किया.

उन्होंने आगे कहा कि आईएनएक्स मीडिया से संबंधित धन शोधन मामले में चिदंबरम प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में जाने के लिए तैयार हैं. इस मामले में शीर्ष अदालत ने चिदंबरम की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले को चुनौती दी थी .

सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम आत्मसमर्पण करेंगे और प्रवर्तन निदेशालय उन्हें हिरासत में लेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे (चिदंबरम) जेल (तिहाड़) क्यों भेजा जाना चाहिए’’ और इस बात के लिए दबाव दिया कि प्रवर्तन निदेशालय को उन्हें हिरासत में लेना चाहिए.

चिदंबरम की तरफ से सिब्बल ने तर्क दिया, ‘‘मेरे खिलाफ कुछ नहीं मिला है. कोई आरोप पत्र नहीं है. वह कहते हैं कि मैं ताकतवर एवं प्रभावशाली व्यक्ति हूं. लेकिन उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है. साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ का भी कोई सबूत नहीं है. किसी गवाह ने क्या ऐसा कुछ भी कहा है?’’

सॉलिसीटर जनरल ने सिब्बल के तर्क का विरोध करते हुए कहा कि वह जमानत के लिए दलील रख रहे हैं.

हालांकि, सिब्बल ने चिदम्बरम की ओर से कहा, ‘‘न्यायिक हिरासत के लिए आवेदन में दिए गए कारण का कोई आधार नहीं है. न्यायिक हिरासत में आपको मेरी क्या जरूरत है.’’

जब सॉलिसीटर जनरल ने सिब्बल से पूछा कि वह किस राहत की मांग कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘ मैं (चिदंबरम) अपनी रिहाई के लिए दलील रख रहा हूं .’’

मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन मामले में उनकी दलीलों को स्वीकार कर लिया है और सबूतों एवं गवाहों के साथ छेड़छाड़ करने की जबरदस्त आशंका है और विभिन्न देशों को भेजे गए अनुरोध पत्रों के जवाब का इंतजार है.

विधि अधिकारी ने आरोप लगाया कि चिदंबरम विदेशों में बैंकों को प्रभावित कर रहे थे. वह जांच में असहयोग कर रहे थे और यदि उन्होंने प्रभावित किया तो बैंक जांच में सहयोग नहीं भी कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘यह मामला गंभीर आर्थिक अपराध का है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है.’’ उन्होंने कहा कि चिदंबरम प्रभावशाली व्यक्ति हैं, चीजों पर उनका व्यापक नियंत्रण है और वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.

मेहता ने एक गवाह के बयान का जिक्र किया और कहा कि चिदंबरम इस गवाह को आसानी से प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने खुली अदालत में गवाह का नाम लेने से मना कर दिया.

विधि अधिकारी ने कहा कि चिदंबरम की रिहाई के बारे में विचार करने का मौका अभी नहीं आया है .

उन्होंने कहा कि चिदंबरम यकीनन जमानत के लिए बहस कर रहे हैं. इस पर, सिब्बल ने कहा कि यह जमानत के लिए दलील नहीं है बल्कि रिहाई के लिए है.

सिब्बल ने कहा, ‘‘न्यायिक हिरासत का कोई औचित्य नहीं है. इस अदालत के समक्ष कोई साक्ष्य नहीं रखा गया है. यह केवल दस्तावेज है. मैं क्या छेड़छाड़ करूंगा .’’

मेहता ने कहा, ‘‘चिदंबरम की जमानत पर जब तक निर्णय नहीं कर लिया जाता है तब तक न्यायिक हिरासत के लिये यह मामला है.’’

दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था.

याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “ये कोई साधारण मामला नहीं है. ये मामला अग्रिम जमानत के लिए फिट नहीं है.”

कोर्ट ने कहा कि “एजेंसी को कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता है. जांच एजेंसी को मामले की छानबीन करने के लिए पर्याप्त स्वतंत्रता दी जानी चाहिए.”

वहीं दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर एयरसेल-मैक्सिस मामलों में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को अग्रिम जमानत दे दी है.

विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने चिदंबरम और उनके बेटे को राहत दे दी और उन्हें मामलों की जांच में शामिल होने का निर्देश दिया है.

अदालत ने कहा, ‘‘गिरफ्तारी की स्थिति में उन्हें एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर रिहा किया जाए. आरोपियों को जांच में शामिल होने का निर्देश दिया जाता है.’’

अदालत ने कहा कि दोनों जांच एजेंसियां मामले में दलील देने की जगह शिकायत दायर करने के बाद से आगे और जांच के बहाने तारीख पर तारीख मांग रही हैं.

अदालत ने कहा कि आगे और जांच के बहाने तारीख पर तारीख मांगने का एजेंसियों का आचरण अपने आप में बहुत कुछ कहता है तथा इसमें आगे कुछ और कहने की जरूरत नहीं है.

अदालत ने कहा कि चिदंबरम पिता-पुत्र के खिलाफ एजेंसियों के आरोप गंभीर प्रकृति के नहीं हैं क्योंकि शोधित धन केवल 1.13 करोड़ रुपये का है.

अदालत ने कहा कि मारन के मामले में रिश्वत की राशि 749 करोड़ रुपये की थी, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया. जांच एजेंसियों को दो एक जैसे आरोपियों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कानून के खिलाफ है.

अदालत ने कहा, ‘‘आरोपियों के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के नहीं हैं क्योंकि शोधित धन केवल 1.13 करोड़ रुपये का है, जो दयानिधि मारन और अन्य के खिलाफ आरोपों के मुकाबले काफी कम है.’’

चिदंबरम पिता-पुत्र 305 करोड़ रुपये के आईएनएक्स मीडिया मामले के साथ ही एयरसेल-मैक्सिस मामले में भी एजेंसियों की जांच के घेरे में हैं.


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