असम के छह समुदायों को मिल सकता है अनुसूचित जनजाति का दर्जा


Six Assam groups to be accorded Schedule tribe status

 

इसे नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को लेकर असम में हो रहे व्यापक विरोध को शांत कराने की कोशिश माना जा सकता है. असम में छह समुदायों को आदिवासी समुदाय का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार सदन में विधेयक लाने जा रही है. इस विधेयक के तहत कोच राजभोगशी, ताइ आहोम, चोटिया, मतक, मोरान एवं चाय बागान से जुड़े समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किया जाने का प्रस्ताव है.

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बारे में जानकारी दी कि सरकार ये विधेयक सदन के इसी सत्र में पेश करेगी.

उन्होंने कहा, “असम के छह समुदायों को आदिवासी समुदाय का दर्जा देने की मांग लंबे समय से की जा रही थी. गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक समिति का गठन किया था और समिति ने सिफारिश दे दी है. इस बारे में विचार विमर्श भी किया गया है”.

विधेयक पारित होता है तो असम एक आदिवासी बहुल राज्य बन जाएगा. सिंह ने कहा कि इसके अलावा असम के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले बोड़ो कछारी और कर्बी समुदाय को आदिवासी समुदाय का दर्जा देने के लिए भी एक अलग विधेयक पेश किया जाएगा.

विधेयक में जिन छह समुदायों को एसटी श्रेणी में शामिल करने का प्रस्ताव है, वह फिलहाल ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में शामिल हैं. राज्य के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने सरकार के इस फैसला का स्वागत किया है.

वहीं सरकार के इस कदम पर ऑल कोच राजभोगशी स्टूडेंट यूनियन के नेता बिस्वजीत रॉय ने कहा कि “वह सरकार पर तभी विश्वास करेंगे जब यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में पास हो जाएगा और इसे राष्ट्रपति की अनुमति मिल जाएगी”. इसके अलावा आदिवासी नेता रूपेश गोवाल ने इस विधेयक को आम चुनावों से पहले सरकार की चाल बताया है.


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