सरकार की आपत्तियों को कॉलेजियम ने किया दरकिनार, दो अन्य नाम सुझाए
सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों को वापस भेजे जाने के फैसले को कॉलेजियम ने दरकिनार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 12 अप्रैल की सिफारिशों को दोहराते हुए झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अनिरूद्ध बोस और गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एएस बोपन्ना के नाम सरकार को भेजे हैं.
सरकार की आपत्तियों पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कॉलेजियम ने कहा कि उसने इस दौरान योग्यता को अधिक महत्त्व दिया.
इसके साथ ही कॉलेजियम ने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस सूर्य कांत को पदोन्नत कर शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश केन्द्र सरकार से की है.
जस्टिस गवई फिलहाल बंबई हाई कोर्ट में जस्टिस हैं. वहीं जस्टिस सूर्य कांत हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस हैं.
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपडेट की गई सिफारिश के अनुसार प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कोलेजियम ने बुधवार को हुई बैठक में अंतत: दो लोगों को शीर्ष अदालत भेजने की सिफारिश की.
कॉलेजियम ने जस्टिस अनिरूद्ध बोस और जस्टिस एएस बोपन्ना ने नामों पर एक बार फिर सुझाव देते हुए कहा, “हमने न्याय मंत्रालय की आपत्तियों पर गौर किया है. कॉलेजियम का मानना है कि हाई कोर्ट और राष्ट्रीय स्तर पर परस्पर वरिष्ठता को महत्व दिया जाना चाहिए लेकिन यहां योग्यता सबसे अहम है. कॉलेजियम ने इन दोनों नामों की सिफारिश करते समय इन्हीं पक्षों को ध्यान में रखकर सुझाव दिया था.”
इससे पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से जजों के नियुक्ति के लिए भेजे गए इन दो नामों को वरिष्ठता का हवाला देते हुए लौटा दिया था.
शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों के 31 पद स्वीकृत हैं. फिलहाल न्यायालय में 27 न्यायाधीश हैं.