वीवीपैट: विपक्ष ने मांगा था 50 फीसदी, सुप्रीम कोर्ट ने दिया सिर्फ पांच


evm and postal ballot can be counted simultaneously says ec

 

ईवीएम मशीन को वीवीपैट से मिलान करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने 50 फीसदी मिलान की बात को अव्यवहारिक बताया है, लेकिन हर एक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में पांच ईवीएम मशीनों की पर्चियों को वीवीपैट से मिलान करने का आदेश दिया है.

कोर्ट 21 विपक्षी दलों की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इससे पहले हर एक विधानसभा में एक मशीन के मिलान का नियम लागू था.

इससे पहले चुनाव आयोग ने ऐसा करने पर नतीजे में छह दिन की देरी होने की बात कही थी. जिसे विपक्षी दलों ने स्वीकार्य बताया था. इन दलों का कहना था कि इससे चुनाव की स्वीकार्यता में इजाफा होगा.

इसके अलावा आयोग ने कहा था कि इसके लिए ना सिर्फ बड़ी तादाद में सक्षम स्टाफ की जरूरत होगी बल्कि बड़े मतगणना हॉल की भी आवश्यकता होगी. विपक्षी दलों का कहना था कि पारदर्शी चुनाव के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है.

याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि ईवीएम और वीवीपीएटी की विश्वसनीयता पर पहले ही सवाल है, लिहाजा कम से कम 50 फीसदी ईवीएम और वीवीपीएटी का मिलान किया जाना चुनाव की विश्वसनीयता बढ़ाएगा.

इससे पहले पार्टियों ने साफ किया था कि वो चुनाव आयोग पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर रही हैं. एक सम्मिलित बयान में कहा गया, “हम केवल सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग कर रहे हैं, ताकि जनता के बीच स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की गरिमा बनी रहे.”

याचिका दायर करने वालों में शरद पवार, केसी वेणुगोपाल, डेरेक ओब्राएन, शरद यादव, अखिलेश यादव, सतीश चंद्र मिश्रा, एम के स्टालिन, टीके रंगराजन, मनोज कुमार झा, फारुख अब्दुल्ला, एए रेड्डी, कुमार दानिश अली, अजीत सिंह, मोहम्मद बदरुद्दीन अजमल, जीतनराम मांझी, प्रोफेसर अशोक कुमार मिश्रा, अरविंद केजरीवाल आदि के नाम शामिल हैं.


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