बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई टली


hearing against abrogation of article 370 to be on 14 november

 

29 जनवरी को होने वाली बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई टल गई है. सुनवाई के दिन जस्टिस एसए बोबड़े की गैरमौजूदगी की वजह से यह फैसला लिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई के लिए पांच जजों की नई पीठ का गठन किया था. इस पीठ में दो नए जज जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर को शामिल किया गया था.  इससे पहले 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ से जस्टिस यूयू ललित ने खुद को अलग कर लिया था. जिसके बाद सुनवाई की अगली तारीख 29 जनवरी दी गई थी.

10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार और वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने संविधान पीठ में जस्टिस यूयू ललित को शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई थी.

राजीव धवन के मुताबिक साल 1994 में जस्टिस यूयू ललित एक मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पैरवी करने के लिए अदालत में पेश हुए थे. जिसके बाद जस्टिस ललित ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था और आगे हिस्सा लेने से मना कर दिया था.

बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर गठित नई पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नज़ीर शामिल हैं.

इलाहाबाद हाई कोर्ट के साल 2010 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 अपील दायर हैं. चार दीवानी मुकदमों पर सुनाए गए अपने फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन को तीन पक्षों, सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था.


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