वेनेजुएला संकट: अमेरिका अपने राजनयिक वापस बुलाएगा


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अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि वेनेजुएला में हालात खराब होने की वजह से काराकस स्थित दूतावास से वो अपने राजनयिक कर्मचारियों को वापस बुलाएंगे.

दोनों देशों के बीच पहले से ही संबंध खराब चल रहे है और अब अमेरिका के इस फैसले से मौजूदा स्थिति और भी बिगड़ सकती है.

ट्रंप यह कह चुके हैं कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सत्ता से बेदखल करने के लिए सैन्य हस्तक्षेप के अलावा अब कोई विकल्प नहीं बचा है.

तेल समृद्ध देश वेनेजुएला की आर्थिक स्थिति चरमराई हुई है. लेकिन इसे रूस और चीन से समर्थन मिल रहा है.

अमेरिका ने पहले से ही वेनेजुएला के तेल निर्यात को बुरी तरह प्रभावित करने के लिए प्रतिबंध लगा रखे हैं.

माइक पॉम्पियो ने उम्मीद जताई है कि भारत, वेनेजुएला से तेल नहीं खरीदेगा और राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के शासन के लिए ‘आर्थिक जीवनरेखा’ नहीं बनेगा.

पॉम्पियो का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका मादुरो शासन के खिलाफ अपने कड़े कदम उठा रही है. मादुरो को पहले ही अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दबाव के चलते सत्ता में बने रहने में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

भारत को तेल की आपूर्ति करने वालों में वेनेजुएला तीसरा सबसे बड़ा देश है और भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है.

वेनेजुएला में बिजली के भयावह संकट के पांचवें दिन में प्रवेश के साथ ही विपक्ष के नेता जुआन गुइदो ने नए सिरे से सामूहिक प्रदर्शन का आह्वान किया है.

वेनेजुएला आर्थिक संकट से गुजर रहा है और इस संकट ने विपक्षी नेता जुआन गुइदो के उत्थान को एक बड़ा मौका दिया है. गुइदो ने जनवरी में खुद को अंतरिम नेता बताया था. करीब 50 से ज्यादा देशों ने अमेरिका के नेतृत्व में उनका समर्थन किया था.


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