जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए वेमुला और तड़वी की मां ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा


Vemula and Tadvi's mother demands to end caste discrimination in universities

 

रोहित वेमुला और पायल तड़वी की मां ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर देशभर में विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत पूर्वाग्रहों को खत्म करने की मांग की है.

वेमुला और तड़वी ने कथित तौर पर जातिगत भेदभाव की वजह से आत्महत्या कर ली थी.

हैदराबाद विश्वविद्यालय के पीएचडी शोधार्थी वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को आत्महत्या कर ली थी, वहीं टीएन टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज की आदिवासी छात्रा तड़वी ने इस साल 22 मई को अपने कॉलेज की तीन चिकित्सकों द्वारा कथित तौर पर जाति आधारित भेदभाव किये जाने की वजह से आत्महत्या कर ली थी.

याचिका में मौलिक अधिकारों खासतौर पर समता का अधिकार, जातिगत भेदभाव के निषेध का अधिकार और जीवन का अधिकार लागू कराने की मांग की गई है.

याचिका में कहा गया है, “मौजूदा याचिका देशभर में उच्च शिक्षण संस्थानों में व्याप्त जातिगत भेदभाव से संबंधित हैं. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ जातिगत भेदभाव की कई घटनाएं हुई हैं जो मौजूदा मानदंडों और नियमनों का पालन नहीं किए जाने को दर्शाता है.”

याचिका में कहा गया है कि ये घटनाएं संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 17 और 21 के तहत प्रदत्त समता का अधिकार, समान अवसर, भेदभाव के खिलाफ अधिकार, छुआछूत का अंत और जीवन के अधिकार का उल्लंघन करती हैं.

याचिकाकर्ताओं ने केंद्र और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को यूजीसी समानता नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है.

उन्होंने केंद्र और यूजीसी को यह भी निर्देश देने की मांग की है कि वे सुनिश्चित करें कि डीम्ड विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों समेत सभी विश्वविद्यालय यूजीसी के समानता नियमों का शब्दश: पालन करें.


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