महिला विरोधी बयानों के बाद अधिवक्ताओं ने बार प्रमुख से मांगा इस्तीफा
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न मामले में मिली क्लीन चिट के खिलाफ महिला अधिकार कार्यकर्ता लगातार प्रदर्शन कर रही हैं. अब 200 से ज्यादा महिला अधिवक्ताओं ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा के महिला विरोधी रवैये के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
15 मई को वुमेन ऑफ इंडिया फॉर कोलैबोरेशन एंड एंपावरमेंट इन लॉ (डब्लूओआईसीई) की सदस्य महिला अधिवक्ताओं ने मिश्रा को लिखे पत्र में सीजेआई मामले में दिए गए उनके बयानों और रवैए की निंदा की है. अधिवक्ताओं ने कहा है कि “उनके बयान महिला विरोधी, गैर-जिम्मेदाराना और असमान्य हैं. इसके साथ ही उनके बयान कानूनी और तथ्यात्मक आधार पर गलत थे.”
पत्र में कहा गया है कि “हमने हाल में देखा है कि आपने कई निंदनीय बयान दिए हैं. आप में बार प्रमुख के तौर पर प्रतिनिधित्व की क्षमता नहीं है, साथ ही आप में समानता जैसे संवैधानिक मूल्यों की कमी है, जो आपको बार का प्रतिनिधित्व करने के लिए अयोग्य बनाता है.”
डब्लूओआईसीई ने पत्र में मिश्रा से उनके बयानों के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी की मांग की है.
साथ महिलाओं ने उनके ‘मैन टू’ प्रदर्शन वाले बयान की भी कड़ी निंदा की है. 6 मई को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के मामले में जस्टिस एसए बोबड़े की आंतरिक जांच समिति ने ठोस प्रमाण मिलने से इनकार किया था. जिसके बाद मिश्रा ने कहा था कि जस्टिस गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में कोई सबूत नहीं मिले हैं.
उन्होंने सीजेआई पर आरोप लगाने वाली महिला के इरादों पर सवाल उठाते हुए आंतरिक जांच समिति की क्लीन चिट को सही ठहराया था. मिश्रा ने 90 फीसदी से ज्यादा यौन उत्पीड़न के आरोप झठा ठहराया था और कहा था कि उनके पीछे गलत इरादें होते हैं.
जिसके बाद बार प्रमुख ने यौन उत्पीड़न के कानून में बदलाव करने तक की मांग की थी.
पत्र में अधिवक्ताओं ने मिश्रा से अपने पद से इस्तीफा देने को कहा है.