क्या भारत में भी मौत की सज़ा खत्म होगी?


 

भारत में फांसी की सजा खत्म हो, यह मांग पुरानी है. इसके पैरोकारों के पास अपने तर्क हैं. इस मुद्दे पर बहस चलती रही है. ये बहस एक बार फिर खड़ी हुई है. इसे बल जस्टिस कुरियन जोसेफ के बयान से मिला है.

रिटायर होने से पहले सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश जोसफ ने मौत की सजा पर रोक लगाने की खुली वकालत की. उन्होंने एक मामले में फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करते हुए कहा कि अब समय आ गया है, जब फांसी की सजा की उपयोगिता पर फिर से विचार हो. लेकिन संबंधित खंडपीठ में शामिल न्यायाधीश दीपक गुप्ता और न्यायाधीश हेमंत गुप्ता कुरियन जोसफ के इस विचार से सहमत नहीं थे. इन दोनों न्यायाधीशों ने फांसी की सजा को वैध ठहराया.

मगर जस्टिस कुरियन ने विधि आयोग की 262वीं रिपोर्ट का हवाला दिया. कहा कि फांसी की सजा देने से समाज में अपराध नहीं घटा. फांसी की सजा आपराधियों पर लगाम लगाने में नकाम रही है.

जस्टिस जोसफ का कहना है कि कभी-कभी मुकदमे का फैसला जनता की राय और सामूहिक मांग को ध्यान में रख कर किया जाता है. जांच एजेंसी भी कोर्ट पर दबाव बनाती है. बेशक संविधान में मौत की सजा का प्रावधान है. लेकिन कोई मामला मृत्युदंड की कैटेगरी में आता है या नहीं, यह देखना जज का काम है.

विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में देश में फांसी की सजा खत्म करने की सलाह दी है. आयोग ने आतंकवाद एवं देशद्रोह को छोड़कर सभी मामलों में मृत्युदंड खत्म करने की सिफारिश की है. वैसे विधि आयोग ने माना है कि दोषी को मौत की सजा की जगह पर अगर आजीवन कारावास की सजा दी जाए तो वह उचित विकल्प होगा. अपराधी को उसके जुर्म का एहसास करा देना काफी है.

फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लंबित है. उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि उम्र कैद का मतलब उम्र कैद होता है, ना कि 14 साल की कैद. कोर्ट ने कहा कि जहां एक तरफ देश में फांसी की सजा खत्म करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं, वहीं उम्र कैद की सजा को 14 साल माना जाता है. 14 साल के बाद राज्य सरकार के पास यह अधिकार है कि अगर वह चाहे तो मुजरिम को रिहा कर सकती है. इसलिए कोर्ट ने कहा कि उम्र कैद का मतलब ताउम्र जेल में रहना होगा.

याचिकाकर्ता की दलील है कि फांसी की सजा अमानवीय और बर्बर है. आज के सभ्य समाज में ये स्वीकार्य नहीं है. दुनिया में 100 से ज्यादा देश मौत की सजा को खत्म कर चुके हैं. मुद्दा यह है कि क्या भारत भी इस सूची में शामिल होगा?


प्रसंगवश