मप्र डायरी: कमलनाथ के विश्वास से उद्योगों का सूखा खत्म करने की तैयारी
मध्य प्रदेश में निवेश आमंत्रित करने के लिए बीजेपी सरकार में भव्य इन्वेस्टर्स समिट का लगातार आयोजन किया गया. मगर हर बार आयोजनों पर लाखों खर्च के बाद भी निवेश के वादे पूरे ना हुए. बीते कुछ महीनों में निवेशकों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से इस उम्मीद में मुलाकात की थी कि उनकी समस्याओं का समाधान होगा और वे प्रदेश में निवेश करेंगे.
औद्योगिक क्षेत्र का अनुभव होने के कारण कमलनाथ ने इन दिक्कतों का त्वरित समाधान किया. अब मुख्यमंत्री नाथ की इसी छवि के अनुरूप निवेशकों में विश्वास का वातावरण बनाया जा रहा है. प्रदेश में निवेश का माहौल बनाने और रोजगार की संभावनाएं पैदा करने के लिए इंदौर में 18 अक्टूबर को ‘मैग्नीफिसेंट एमपी समिट’ का आयोजन हो रहा है.
हर बार समिट के सूत्रधार अफसर रहे हैं लेकिन इस बार खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ व्यक्तिगत रूप से औद्योगिक घरानों को बुला रहे हैं. समिट में करार नहीं होंगे क्योंकि करार पूरे नहीं होते. यहां केवल निवेश की घोषणा होगी.
बीजेपी सरकार में नर्मदा व हरियाली के नाम पर भ्रष्टाचार
विधायकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने तत्कालीन बीजेपी सरकार में हुए घोटालों को मुद्दा बनाया था. उस वक़्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में हुए 100 घोटालों की सूची भी जारी हुई थी. तब माना गया था कि ये राजनीतिक आरोप हैं मगर अब जब सरकार ने तहों को टटोलना शुरू किया तो कई बड़े घोटालों के राज खुलने लगे हैं.
वन मंत्री उमंग सिंघार ने तो बाकायदा प्रेस वार्ता कर बताया कि कैसे 7 करोड़ पौधे लगा कर विश्व कीर्तिमान बनाने के नाम पर 450 करोड़ का घोटाला हुआ. यह मामला विस्तृत जांच के लिए ईओडब्ल्यू यानी आर्थिक अपराध ब्यूरो को सौंप दिया गया है. इस प्रकरण में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, तत्कालीन वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार व अन्य अधिकारियों की भूमिकाओं की जांच होगी. इसी तरह शिवराज सरकार में नर्मदा संरक्षण के नाम पर हुई नर्मदा यात्रा के खर्च का ब्यौरा नहीं मिलने पर कैग ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में आपत्ति जाहिर की है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि नर्मदा यात्रा पर 21 करोड़ रुपए बिना अनुमति खर्च किए गए जिसमें से 18 करोड़ के खर्च का हिसाब किताब गायब है. ये भी कहा गया है कि खर्च के लिए नोडल संस्था जन अभियान परिषद ने नियमों के तहत मंजूरी भी नहीं ली थी. हालांकि, बीजेपी अभी भी कह रही है कि सरकार जाँच करवाए आरोप झूठे साबित होंगे.
महिला अपराध पर सख्ती, विपक्ष के हाथ से निकला मुद्दा
अपने घोषणा पत्र में महिला सुरक्षा के लिए सख्ती का वादा करने वाली कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने फिलहाल महिला के प्रति होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है. महिला अपराधों की विवेचना में अनावश्यक देरी करने और लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के साथ नियमानुसार सजा देने का प्रावधान किया गया है.
पुलिस मुख्यालय से जारी नई गाइडलाइन में विवेचनाधीन प्रकरणों की तत्परता से विवेचना पूर्ण कर न्यायालय से निराकरण कराने पर बल दिया है. कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले जिन अपराधों की विवेचना के लिए कोई स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित नहीं है, उनकी विवेचना भी तीन महीने में पूरी करनी होगी. महिलाओं अपराधों की जांच तीन महीने से आगे जारी रखने के लिए प्रत्येक प्रकरण में एसपी से अलग-अलग आदेश प्राप्त करना होगा.
जांच में देरी और लापरवाही सिद्ध होने पर दंड दिया जाएगा. बीजेपी अभी प्रदेश में अपराध बढ़ने का आरोप लगा कर राज्यपाल से शिकायत कर चुकी है. नगरीय निकाय चुनाव के पहले महिलाओं के प्रति अपराधों पर यह रुख विपक्ष के मुद्दे को खत्म कर सकता है.