गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में दिमागी बुखार से अब तक 16 बच्चों की मौत
फाइल फोटो
एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) से यूपी में 16 बच्चों की मौत हो चुकी है. गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में पिछले डेढ़ महीनों में इलाज के दौरान इन बच्चों की मौत हुई है. एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) एक प्रकार का दिमागी बुखार होता है.
खबरों के मुताबिक इस मामले में लखनऊ के स्वास्थ्य प्रबंध-विभाग को रिपोर्ट भेजी गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इन बच्चों की मौत की वजह जापानी इन्सेफेलाइटिस (जेइ) या एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) से पीड़ित होना था. यूपी के पड़ोसी राज्य बिहार में इसी बीमारी से पीड़ित होने के कारण अब तक 150 बच्चों की मौत हो चुकी है.
इन 16 मौतों में से 6-6 गोरखपुर और कुशीनगर जिला में हुई है. महाराजगंज और देवरिया जिला में 2-2 मौतें हुई हैं. ये चारों जिले पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं.
एक स्वास्थ्य अधिकारी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बात को दोहराते हुए कहा, “पिछले कुछ सालों में इस बीमारी से होने वाली मौत की दरों में काफी गिरावट आई है. लेकिन हमें इसे पूरी तरह से खत्म करने के लिए नई रणनीति बनानी होगी.”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में उम्मीद जताते हुए कहा था कि साल के आखिर में गोरखपुर में एम्स (एआईआईएमएस) बन जाने के बाद इस बीमारी का इलाज कारगर तरीके से हो पाएगा.
बीजेपी के नेता ने कहा, “इस बीमारी के फैलने का कारण गंदगी, खुले में शौच करना और गंदा पानी पीना है.” उन्होंने कहा, “हमने काफी हद तक इस बीमारी को काबू किया है. पिछले साल हमने जो रणनीति बनाई थी उसका नतीजा अच्छा आया है. लेकिन यह लगातार होने वाली प्रक्रिया है.”
पूर्वी यूपी योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता है. हाल ही में उन्होंने दावा किया था कि इन्सेफेलाइटिस गोरखपुर से लगभग खत्म हो चुका है. गोरखपुर इस बीमारी का केंद्र रहा है. 1998 से अब तक इसके इर्द-गिर्द के जिलों में हजारों की तादाद में बच्चों की मौत हो चुकी है.
आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के महंत भी हैं. उन्होंने 1998 से 2017 तक गोरखपुर का संसद में प्रतिनिधित्व किया है.
गोरखपुर जिले के स्वास्थ्य विभाग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 1 मई से 19 जून के बीच जेइ और एइएस से पीड़ित 130 बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया गया है. एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, “पीड़ित की मौत की शुरुआत 5 मई से हुई थी. 19 जून के बाद हुई मौतों की गिनती करना अभी बाकी है.”
उन्होंने कहा, “आदित्याथ ने दस्तक कार्यक्रम की शुरुआत की है. यह 1 जुलाई से शुरू होगा. इस कार्यक्रम का मकसद लोगों को बीमारी के प्रति जागरुक करना है. यह कार्य गोरखपुर और इसके आस-पास के जिलों में होगा. हम 25 जुलाई तक इन्सेफेलाइटिस टीका कार्यक्रम भी चलाएंगे. लेकिन सच्चाई यह है कि ज्यादातर इन्सेफेलाइटिस से मौत जून के महीने में बारिश होने की वजह से होती है.” उन्होंने यह भी कहा कि टीकाकरण की शुरुआत जनवरी या फरवरी में ही हो जानी चाहिए थी.
गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज मेंइन्सेफेलाइटिस के इलाज के लिए अलग से एक पूरा विभाग बना हुआ है. यही वजह है कि जब बिहार में बच्चे इसके चपेट में आने शुरू हुए तो परिजन उन्हें बीआरडी में भर्ती करने गोरखपुर लेकर आए. मुजफ्फरपुर में कुछ परिजनों ने आरोप लगाया है कि गोरखपुर के अस्पताल ने उनके बच्चों को भर्ती करने से मना कर दिया था. हालांकि, बीआरडी मेडिकल कॉलेज ने इस आरोप का खंडन किया है.
राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से बच्चों की मौत के संबंध में अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया गया है.