10 में सात डॉक्टर मरीजों की हिंसा का सामना करते हैं: सर्वे
उत्तर प्रदेश के तीन शहरों के सरकारी अस्पतालों में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि 10 में से सात डॉक्टर मरीजों या उनके परिजनों की हिंसा का सामना करते हैं. सर्वे से पता चलता है कि अधिकतर हमलावर मरीज या उनके परिजन किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई से बच निकलते हैं.
इस तरह के घटनाओं का सामना करने वाले या जानकारी रखने वाले डाक्टर कहते हैं कि 84 फीसदी मामलों में हमलावर की शिकायत पुलिस में नहीं की गई. वहीं इनमें से किसी भी मामले में आरोपी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया गया.
ये बातें आगरा, झांसी और अलीगढ़ स्थित अस्पतालों के 305 रेजिडेंट डॉक्टरों के बीच हुए सर्वे में सामने आई हैं. सर्वे में शामिल हुए 212 डॉक्टर (69.5 फीसदी) हिंसा का शिकार हुए. जबकि 264 डॉक्टरों (86.6 फीसदी) ने अपने सामने इस तरह की घटनाएं होते हुए देखीं.
एक सामुदायिक डॉक्टर ने ये सर्वे आज से 18 महीने पहले पूरा किया था. जो हाल ही में इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित हुआ है.
सर्वे में शामिल हुए 70 फीसदी डॉक्टर ने कार्यक्षेत्र में गाली-गलौच का सामना किया, जबकि 47 फीसदी ने शारीरिक हिंसा का सामना किया. इनमें से कुछ मामलों में हमलावरों ने लाठी, चाकू और फर्नीचर से डॉक्टरों पर हमले किए.
करीबन 68 फीसदी मामले आपातकाल विभाग में हुए. सर्वे से पता चलता है कि हिंसा की 35 फीसदी घटनाओं में हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, 17 फीसदी घटनाओं में उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया और केवल 10 फीसदी घटनाओं में ये मामले पुलिस तक पहुंचे.
सर्वे में 80 फीसदी डॉक्टरों ने बताया कि हिंसा की घटनाओं में वो प्रशासन की ओर से उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं. आगरा स्थित सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज में सामुदायिक दवाइयों की सहायक प्रोफेसर गीतू सिंह की अध्यक्षता में यह सर्वे किया गया था. वो कहती है कि सर्वे में हमने कार्यक्षेत्र में होने वाली हिंसा और उसके पीछे जिम्मेदार कारणों को जानने की कोशिश की है.
हिंसा के कारणों पर बात करें तो रेजिडेंट डॉक्टरों पर हिंसा का प्रमुख कारण दवाइयों की अनुपलब्धता (38 फीसदी) रहा. इसके अलावा स्टाफ की कमी (36 फीसदी), डॉक्टरों और परिजनों के बीच बात-व्यवहार में अंतर (20 फीसदी), डॉक्टरों पर हुए हमले के पीछे प्रमुख कारण रहे.
इससे पहले भारत में हुए अध्ययनों से पता चलता है कि करीबन 40-70 फीसदी डॉक्टर हिंसा का शिकार होते हैं. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विश्व भर में 8 से 38 फीसदी डॉक्टर अपने करीयर में कभी न कभी हिंसा का सामना करते हैं.