डूबते एअर इंडिया का घाटा जा सकता है 7,600 करोड़ के पार


oil companies gave ultimatum to air india

 

घाटे में चल रही सरकारी क्षेत्र की विमानन कंपनी एअर इंडिया का संकट बढ़ता ही जा रहा है. मिंट में छपी एक खबर के मुताबिक एअर इंडिया का घाटा इस वित्त वर्ष में रिकॉर्ड स्तर पर जा सकता है. एक आंकलन के मुताबिक इस बार ये 7,600 करोड़ के ऊपर जा सकता है.

कंपनी का ये घाटा विमानों के कम प्रयोग और महंगे ईंधन के चलते और अधिक बढ़ गया है. मिंट अधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिखता है कि बीते वित्त वर्ष में कंपनी का कुल राजस्व 26,000 करोड़ रहा.

एअर इंडिया साल 2007 से लगातार घाटे में जा रही है. इसी साल इसका इंडियन एअरलाइंस के साथ विलय कर दिया गया था. यूपीए सरकार के दौरान विमानों की संख्या में इजाफा करने के फैसले से भी इसका घाटा बढ़ा.

कंपनी के घाटे से परेशान होकर सरकार ने बीते साल इसकी साझेदारी बेचने का प्रयास भी किया था, लेकिन कोई इसका खरीदार ही नहीं मिला. तब सरकार ने इसकी 76 फीसदी हिस्सेदारी निजी कंपनियों को बेचने के लिए खोल रखी थी. लेकिन इसका परिणाम शून्य ही रहा.

इसके बाद सरकार ने इसकी बिक्री प्रक्रिया रोक दी थी. जानकारों का अनुमान था कि उड्डयन क्षेत्र के हालात सुधरने के बाद इसको खरीदार मिल जाएंगे. आम चुनाव के चलते भी बाकी की प्रक्रिया संभव नहीं थी.

अब जबकि मोदी सरकार पूरी ताकत के साथ सत्ता में वापसी कर चुकी है, तब वह एक बार फिर से इसे निजी हाथों में देने का प्रयास जरूर करेगी.

खबरों के मुताबिक इस बार सरकार इसकी बिक्री प्रक्रिया को किसी हालत में रोकना नहीं चाहती है. इसके लिए 100 दिन का लक्ष्य निर्धारित करने की योजना है.

इसके लिए सरकार शर्तों में ढील देने का विचार भी कर रही है. इस बार इसका 100 फीसदी हिस्सा खरीदने का ऑफर दिया जा सकता है.

इसके अलावा सरकार इसकी देयता को स्पेशल पर्पज व्हिकल (एसपीवी) को स्थानांतरित कर सकती है. इस समय एअर इंडिया पर कुल 58,000 करोड़ का कर्ज है.

सरकार इसका अधिकतर हिस्सा एसपीवी को स्थानांतरित कर देना चाहती है, जिससे कि कंपनी के खरीददारों पर कम बोझ पड़े और वे इसे खरीदने के लिए आगे आएं.


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